DU: देश में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साइबर अपराध से निपटने के लिए हर स्तर पर प्रयास हो रहा है. इस कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) के कंप्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के सहयोग से ‘साइबर अपराध, बचाव और जांच’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोजन का मकसद साइबर सुरक्षा के उभरते क्षेत्रों में फैकल्टी के बीच साइबर सुरक्षा की विशेषज्ञता को बढ़ाना है. ताकि वे साइबर खतरों की पहचान, रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठा सकें और इसकी जानकारी छात्रों के साथ भी साझा कर सकें.
आधुनिक साइबर सुरक्षा उपकरणों और तकनीकों की गहन समझ मौजूदा समय में काफी जरूरी है. इसलिए कार्यक्रम के दौरान इस विषय पर विशेष मंथन किया गया. कार्यक्रम में शामिल विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके वास्तविक दुनिया के साइबर खतरों से निपटने के तरीके का विस्तृत ब्यौरा पेश किया. यह आयोजन सरकार द्वारा शुरू की गई सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता (आईएसईए) परियोजना के तीसरे चरण के तहत किया गया.
साइबर सुरक्षा से निपटने के लिए शिक्षाविदों का सक्षम होना जरूरी
कार्यक्रम को दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली यूनिवर्सिटी कंप्यूटर सेंटर(डीयूसीसी) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर अजय कुमार गुप्ता, डीयूसीसी के निदेशक और डीन (प्रौद्योगिकी संकाय) प्रोफेसर संजीव सिंह के अलावा अन्य शिक्षाविद ने संबोधित किया. इस मौके पर प्रोफेसर सिंह ने कहा कि शिक्षा के जरिये एक सुरक्षित डिजिटल तंत्र को बढ़ावा देने के लिए फैकल्टी के सदस्यों को विकसित हो रही साइबर तकनीकों की जानकारी होना जरूरी है. बदलती तकनीक के साथ अपराध के तरीके बदल रहे हैं. मौजूदा समय में साइबर अपराध वित्तीय और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है.
ऐसे में इस खतरे से निपटने के लिए हर स्तर पर प्रयास जरूरी है और इसमें शिक्षाविद की भूमिका अहम हो जाती है. इस कार्यक्रम के आयोजन का मकसद डीयू के शिक्षकों को साइबर सुरक्षा के प्रति सजग बनाना है. ऐसा ही कार्यक्रम देश के अन्य शिक्षण संस्थानों में भी चलाया जायेगा. सरकार डिटिटल सुरक्षा को पाठ्यक्रम में भी शामिल कर रही है. इस आयोजन में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक सुरेंद्र सिंह और दिल्ली विश्वविद्यालय की संयुक्त रजिस्ट्रार मीनाक्षी सहाय, गणित विज्ञान संकाय की डीन प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता सहित अन्य फैक्ल्टी के सदस्य शामिल हुए.
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