Election Commission: फर्जी मतदान और कई मतदाता पहचान पत्र होने को लेकर विपक्षी दल चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके है. विपक्षी दलों की शिकायत पर आयोग ने हाल में एक उच्च-स्तरीय बैठक कर फर्जी मतदान और कई मतदाता पहचान पत्र को रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक करने का निर्णय लिया है. साथ ही चुनाव आयोग चुनाव संबंधी शिकायतों को दूर करने के लिए भी कदम उठा रहा है. इस कड़ी में देश भर में 4123 ईआरओ अपने-अपने विधान सभा, निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान केंद्र स्तर पर लंबित किसी भी मुद्दे का समाधान करने के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन कर रहे है.
सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेश के सभी 788 जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और 36 सीईओ को जिला और राज्य स्तर पर ऐसी बैठकों का आयोजन करने तथा लंबित मुद्दों का समाधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960, निर्वाचनों का संचालन नियम 1961 के तहत करने का का निर्देश दिया गया है. राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राजनीतिक दल इस बैठक में शामिल हो रहे और ऐसी सभी बैठकें पूरे देश के सभी विधानसभा क्षेत्र और जिले में 31 मार्च 2025 तक पूरा करने की समय सीमा तय की गयी है.
शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए उठाया गया कदम
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की चुनाव संबंधी शिकायतों को देखते हुए 4 मार्च को दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के सीईओ, सभी राज्य से एक डीईओ और ईआरओ का एक सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के अलावा चुनाव आयुक्त डॉक्टर सुखबीर सिंह संधू और डॉक्टर विवेक जोशी मौजूद थे. इस बैठक में चुनाव संबंधी शिकायतों को दूर करने के लिए जरूरी निर्देश जारी किए गए थे. राजनीतिक दलों और उनके अधिकृत प्रतिनिधियों जैसे बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए). पोलिंग एजेंटों, काउंटिंग एजेंटों और चुनाव एजेंटों की चुनाव संचालन सहित विभिन्न चुनावी प्रक्रियाओं में अहम भूमिका होती है.
चुनाव आयोग सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की शिकायतों के निवारण के लिए चुनाव अधिकारियों की बैठक आयोजित कर रही है. इस बैठक का मकसद चुनाव अधिकारियों को शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए तैयार करना है. आयोग चुनाव से जुड़े अधिकारियों को डिजिटल प्रशिक्षण भी मुहैया करा रहा है.