Election Commission: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) को लेकर राजनीतिक विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस पर रोक लगाने के इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है. वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों की ओर से संसद में भी इस मामले को उठाया जा रहा है. विरोध के बावजूद बिहार में चुनाव आयोग की प्रक्रिया जारी है.
मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक हुई प्रक्रिया में 18 लाख मृतक मतदाता के नाम पाए गए हैं. वहीं 26 लाख लोग दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में जा चुके हैं और 7 लाख लोगों के नाम दो क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल है. चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में चल रहे एसआईआर की प्रक्रिया तेज गति से चल रही है और सभी पात्र मतदाताओं को 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल करने का काम किया जा रहा है.
एसआईआर के लिए बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नियुक्त लगभग 1 लाख बीएलओ, 4 लाख वालंटियर्स और 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट(बीएलए) सहित पूरी चुनाव मशीनरी मतदाताओं का पता लगाने का काम कर रही है.
तय समय में पूरी होगी प्रक्रिया
चुनाव आयोग की ओर से मुख्य चुनाव अधिकारी, जिला चुनाव अधिकारी, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और बूथ लेवल अधिकारियों की ओर से इस मामले को लेकर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की गयी, जिसमें 21.36 लाख मतदाताओं की विस्तृत सूची साझा की गयी है जिनके फार्म अभी तक प्राप्त नहीं हुए है.
साथ ही लगभग 52.30 लाख ऐसे मतदाताओं की भी सूची साझा की गयी, जिनकी कथित तौर पर मृत्यु हो चुकी है या जो स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं. चुनाव आयोग को 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आम जनता में से कोई भी व्यक्ति ड्राफ्ट मतदाता सूची में कोई भी नाम जोड़ने, हटाने, सुधार करने के लिए आपत्तियां दर्ज करा सकता है.
बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ है, जिसमें 90.67 फीसदी के गणना फार्म जमा हो चुके है. इसमें से 90.37 फीसदी गणना फार्म का डिजिटलीकरण हो चुका है. अब तक अपने पते पर 6.62 फीसदी मतदाता अनुपस्थित पाए गए, जबकि 2.36 फीसदी मतदाताओं की मौत हो चुकी है. वहीं 3.29 फीसदी मतदाता अपना निवास स्थान स्थायी तौर पर बदल चुके हैं. चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू की जाएगी. बिहार के बाद यह प्रक्रिया पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में शुरू होगी.