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Farmers Protest : सरकार ने कृषि कानून साल भर के निलंबित करने का दिया प्रस्ताव, 22 को जवाब देंगे किसान

Farmers Protest, tenth round of talks, three farm laws सरकार के साथ किसानों की 10वें दौर की वार्ता भी विफल रही है. घंटों चली बैठक में किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे, हालांकि सरकार की ओर से आंदोलन समाप्त करने के लिए कई प्रस्ताव दिये गये, लेकिन किसान नेता उसपर राजी नहीं हुए. अब दोनों के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को होगी.

सरकार के साथ किसानों की 10वें दौर की वार्ता भी विफल रही है. घंटों चली बैठक में किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे, हालांकि सरकार की ओर से आंदोलन समाप्त करने के लिए कई प्रस्ताव दिये गये, लेकिन किसान नेता उसपर राजी नहीं हुए. अब दोनों के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को होगी.

केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से तीनों कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे. किसानों ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने पर चर्चा टाल रही है. किसान नेताओं ने कहा कि 10वें दौर की वार्ता के पहले सत्र में कोई समाधान नहीं निकला क्योंकि दोनों ही पक्ष अपने रुख पर अड़े रहे.

सरकार ने किसानों के पास कृषि कानूनों को एक साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव दिया. साथ ही कृषि कानूनों में संशोधन का भी प्रस्ताव सरकार ने रखा लेकिन किसान नेता सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया. किसान नेता कृषि कानून रद्द करने से कम में कोई बात मानने के लिए तैयार नहीं हैं.

इधर बैठक के बाद किसान नेताओं ने बताया, सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट में एफिडेविट देकर कानून को 1.5-2 साल तक होल्ड पर रख सकते हैं. कमेटी बनाकर चर्चा करके, कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे. हम 500 किसान संगठन हैं, कल हम सबसे चर्चा करके 22 जनवरी को अपना जवाब देंगे.

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने बैठक के बाद कहा, सरकार के साथ आज 3 कानूनों और MSP पर बात हुई. सरकार ने कहा हम 3 कानूनों का एफिडेविट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को देंगे और हम 1-1.5 साल के लिए रोक लगा देंगे. एक कमेटी बनेगी जो 3 कानूनों और MSP का भविष्य तय करेगी. हमने कहा हम इस पर विचार करेंगे.

वार्ता में क्या-क्या हुआ

सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए निलंबित रखने और किसान संगठनों व सरकार के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित करने भी प्रस्ताव रखा.

सरकार ने प्रस्ताव दिया कि जब तक समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक कृषि कानून निलंबित रहेंगे.

सरकार ने किसानों को अपना आंदोलन स्थगित करने का आग्रह किया.

सरकार के प्रस्ताव का किसान संगठनों ने समर्थन नहीं किया.

बैठक के दौरान किसान नेताओं ने कुछ किसानों को एनआईए की ओर से जारी नोटिस का मामला भी उठाया और आरोप लगाया कि किसानों को आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रताड़ित करने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है.

Posted By – Arbind kumar mishra

Prabhat Khabar Digital Desk
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