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2004 में सुनामी के प्रकोप से बचाने के लिए मछुआरों ने जताया आभार, समुद्र में की देवी गंगाम्मा की पूजा

तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में मछुआरों और स्थानीय लोगों ने 2004 की सुनामी में जान गंवाने वालों को आपदा की 18वीं बरसी पर श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर करीब पांच सौ से अधिक मछुआरे और महिलाएं हाथ में दूध और फूल लेकर मुथुनगर से सिंघारथोप्पु समुद्र तट तक एक साथ आईं.

विशाखापत्तनम : वर्ष 2004 में आई सुनामी के प्रकोप से बचाने को लेकर तमिलनाडु के मछुआरों ने सोमवार को देवी गंगाम्मा की पूजा की. इन मछुआरों का मानना है कि शहर में समुद्री तट पर स्थित देवी महाकाली के मंदिर ने उन्हें सुनामी के प्रकोप से बचाया था. तभी से पेडाजलरिपेटा के मछुआरे गंगाम्मा की पूजा पूरे उत्साह के साथ करते चले आ रहे हैं.

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, समुद्रतट पर गंगाम्मा की पूजा के दौरान कोई भी मछुआरा मछली पकड़ने के लिए समुद्र में नहीं जाते हैं. एक मछुआरे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हम पूरे विश्वास के साथ यह मानते हैं कि सुनामी हमें प्रभावित नहीं करेगी. 26 दिसंबर 2004 को जब सुनामी समुद्र तट से टकराई थी, तो हममें से कोई भी प्रभावित नहीं हुआ था और तटीय क्षेत्र में पानी के अलावा एक भी नाव क्षतिग्रस्त नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि देवी गंगाम्मा की पूजा हमारी रक्षा के लिए देवी को आभार जताने का एक तरीका है.

उचित चेतावनी प्रणाली के अभाव में जान-माल का भारी नुकसान

एक अन्य मछुआरे ने कहा कि भविष्य में सुनामी को आने से रोकने के लिए ग्रामीणों के मार्गदर्शन में दूध से अभिषेक के साथ मां गंगाम्मा देवी की विशेष पूजा की गई. उन्होंने कहा कि 2004 की सुनामी के दौरान सबसे बड़े जान-माल का नुकसान इसलिए हुआ, क्योंकि उस समय कोई उचित चेतावनी प्रणाली थी. आम तौर पर समुद्र में भूकंप से समुद्र की लहरों की एक शृंखला शुरू हो जाती थी और वे लहरें समुद्रतटीय इलाकों में आ जाती थीं.

पांच सौ मछुआरों और महिलाओं ने की पूजा

इसके साथ ही, तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में मछुआरों और स्थानीय लोगों ने 2004 की सुनामी में जान गंवाने वालों को आपदा की 18वीं बरसी पर श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर करीब पांच सौ से अधिक मछुआरे और महिलाएं हाथ में दूध और फूल लेकर मुथुनगर से सिंघारथोप्पु समुद्र तट तक एक साथ आईं. वे चुपचाप बैठे रहे और फिर समुद्र में दूध को अर्पित कर दिया. इसके साथ ही, उन्होंने समुद्र में पुष्पदान करने के अलावा कपूर जलाया और सुनामी में मारे गए अपने परिवार के सदस्यों की पूजा की.

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2004 की सुनामी में मारे गए थे 2.30 लाख लोग

बता दें कि 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर भूकंप आया था, जिसके परिणामस्वरूप सुनामी आई और उसने समुद्रतटीय क्षेत्रों को तबाह कर दिया. इस सुनामी में इंडोनेशिया, श्रीलंका और भारत समेत विभिन्न देशों में समुद्रतटीय किनारे इलाके के करीब 2.30 लाख लोग मारे गए थे. सुनामी से दक्षिण भारत का तमिलनाडु भी तबाह हो गया था. सुनामी के बाद आई बाढ़ ने तमिलनाडु के सिंगारथोप्पु, देवानामबत्तिनम, डालंगुडा, सोनंगुप्पम, सोथिकुप्पम, अक्कराइक्कोरी और एमजीआर समेत कई इलाकों को प्रभावित किया था.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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