Ganga River: महाकुंभ में अबतक 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. लेकिन सीपीसीबी की रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया है कि गंगा इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि वो स्नान करने लायक नहीं बची है. इस दावे के बीच पद्मश्री डॉ अजय सोनकर ने बड़ा खुलासा किया है. उनका दावा है कि 60 करोड़ से अधिक लोगों के नहाने के बावजूद गंगा पूरी तरह से कीटाणु मुक्त है.
गंगा जल में कीटाणुओं को 50 गुना तेजी से खत्म करने की क्षमता
पद्मश्री डॉ अजय सोनकर गंगा जल को लेकर एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है. उन्होंने गंगा जल की तुलना समुद्री जल से ही है. उनका दावा है कि गंगा के पानी में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज होते हैं, जो सुरक्षा गार्ड की तरह काम करते हैं. हानिकारक बैक्टीरिया की सही पहचान करके उन्हें नष्ट करते हैं. बैक्टीरिया से 50 गुना छोटे बैक्टीरियोफेज में अविश्वसनीय शक्ति होती है. वे बैक्टीरिया में घुसपैठ करते हैं, उनके RNA को हैक करते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं.
गंगा में खुद को शुद्ध करने की अद्भूत क्षमता : डॉ अजय सोनकर
पद्मश्री डॉ अजय सोनकर ने अपना एक वीडियो जारी किया और बताया, गंगा नदी में खुद को शुद्ध करने की अद्भुत क्षमता है. उन्होंने कहा, “बड़े आयोजनों में गंगा में एक समय पर लाखों की संख्या में लोग डुबकी लगाते हैं, जिससे पानी गंदा हो सकता है, तो स्वाभाविक भी है. लेकिन गंगा प्रदूषण को खत्म करने लिए खुद के अंदर बैक्टीरियोफेज को उत्पन्न करता है, जो एलियन की तरह दिखता है, वो बैक्टीरिया को खत्म करने के बाद खुद भी नष्ट हो जाता है.” उन्होंने बताया, “बैक्टीरियोफेज की विशेषता यह है कि वे केवल हानिकारक बैक्टीरिया को ही नष्ट करते हैं.” डॉ अजय सोनकर का दावा है कि प्रत्येक फेज तेजी से 100-300 नए बैक्टीरियोफेज पैदा करता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हुए हमला जारी रखते हैं. उन्होंने बताया, “बैक्टीरियोफेज लाभकारी बैक्टीरिया को प्रभावित किए बिना हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं.”
कौन हैं डॉ अजय सोनकर
डॉ अजय सोनकर पद्मश्री हैं. उनकी प्रशंसा कभी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी की थी. डॉ अजय कैंसर, जेनेटिक कोड, सेल बायोलॉजी और ऑटोफैगी के वैश्विक शोधकर्ता हैं. उन्होंने वैगनिंगन यूनिवर्सिटी, राइस यूनिवर्सिटी, टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ भी सहयोग किया है. डॉ अजय ने टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के 2016 के नोबेल पुरस्कार विजेता जापानी वैज्ञानिक डॉ योशिनोरी ओहसुमी के साथ सेल बायोलॉजी और ऑटोफैगी पर बड़े पैमाने पर काम किया है. उन्होंने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में संज्ञानात्मक फिटनेस और संवेदनशील आंत पर भी दो बार काम किया है.
तीन विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने गंगा जल से संबंधित सीपीसीबी की रिपोर्ट को अधूरी बताया
गंगा जल की शुद्धता को लेकर हाल ही में जारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के अंशों को तीन विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने गलत ढंग के प्रसारित करने का संदेह जताया है. उनका कहना है कि ‘नाइट्रेट’ और ‘फॉस्फेट’ जैसे तत्वों का रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर अमित कुमार मिश्रा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर आरके रंजन ने कहा कि मौजूदा रिपोर्ट के आधार पर भी गंगा जल क्षारीय है, जोकि स्वस्थ जल निकाय का संकेत है. उन्होंने कहा कि जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा के आधार पर इसे स्नान योग्य ही माना जाएगा.
सीपीसीबी का क्या है दावा?
कुछ दिन पहले, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें पानी में फीकल कोलीफॉर्म (बैक्टीरिया) के बढ़े हुए स्तर की बात कही गई है.