Goa News: गोवा की प्रतिष्ठित कला अकादमी में बीते दिनों फॉल्स सीलिंग गिर गया. इससे राज्य की अधूरी और संदिग्ध इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को लेकर जनता का गुस्सा फिर से भड़क गया है. खासतौर पर उन प्रोजेक्ट्स पर जिन पर सीधे मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की निगरानी रही है. जिस इमारत को कभी “सांस्कृतिक पुनर्जागरण का मास्टरपीस” कहा गया था, वही अब सरकारी लापरवाही और बढ़ते खर्चों की पहचान बन चुकी है. शुरुआत में कला अकादमी के रिनोवेशन के लिए 49 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, लेकिन अब इसका खर्च 100 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है.
पूर्व उपमुख्यमंत्री और फातोर्डा विधायक विजय सरदेसाई ने चेतावनी दी है कि एक एक्सपर्ट कमेटी ने मेन ऑडिटोरियम के लिए और 20 करोड़ रुपये की सिफारिश की है, जबकि निर्माण में खामियां साफ दिख रही हैं. उन्होंने कहा “यह गोवा का वेस्टफुल खर्च का ताजमहल है”, और पूछा कि जनता का कितना और पैसा इस तरह के डांवाडोल प्रोजेक्ट में झोंका जाएगा?
कला और संस्कृति मंत्री गोविंद गावडे ने पहले ही इस मरम्मत परियोजना में गड़बड़ियों और खराब क्वालिटी को लेकर गंभीर चिंता जताई थी. लेकिन उनकी चेतावनियों को अनदेखा कर दिया गया, जिससे सरकार के भीतर पारदर्शिता और CM सावंत की निगरानी पर सवाल उठ रहे हैं.
एक समय पर राज्य के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक रही कला अकादमी की हालत रेनोवेशन के महज एक साल बाद ही इतनी बिगड़ जाना सिर्फ आर्किटेक्चरल नाकामी नहीं है, बल्कि यह सरकार की भी बड़ी नाकामी है. फॉल्स सीलिंग गिरना तो बस ताजा सबूत है जिससे पता चल रहा है कि मौजूदा सरकार के अधीन सरकारी कामों पर सवाल उठते रहे हैं.
आलोचकों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री के नाक के नीचे मौजूद एक सांस्कृतिक धरोहर भी इस हाल में है, तो इसी भी संभावना है कि गोवा के विकास की कहानी कहीं उल्टी ने हो जाए. अब जब विपक्ष और सिविल सोसाइटी जांच की मांग कर रहे हैं, तो गेंद मुख्यमंत्री सावंत के पाले में है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वो सीलिंग ठीक कराएंगे या जवाबदेही से फिर किनारा कर लेंगे?