Green Energy: देश पेट्रोल और डीजल की बजाय वैकल्पिक ईंधन के विकास पर जोर दे रहा है. मौजूदा समय में देश पेट्रो उत्पाद के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. पेट्रो उत्पादों पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार हाइड्रोजन फ्यूल को बढ़ावा दे रही है. मंगलवार को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत के पहले हाइड्रोजन ट्रक ट्रायल को हरी झंडी दिखायी. हैवी वाहनों का निर्माण करने वाली टाटा कंपनी और आईओसीएल ने मिलकर हाइड्रोजन से चलने वाले हैवी ट्रकों पर परीक्षण शुरू किया. इस मौके पर केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के लिए यह तकनीक काफी कारगर होगी और इससे प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी.
पेट्रो उत्पाद के आयात पर हर साल 22 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं और वैकल्पिक ऊर्जा के इस्तेमाल के आयात पर होने वाले खर्च कम होने के साथ ही प्रदूषण में भी कमी आयेगी. गडकरी ने कहा कि फिलहाल 16 हाइड्रोजन फ्यूल आधारित गाड़ियों के ट्रायल रन को मंजूरी दी गयी है. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो भारत ऊर्जा का आयात नहीं बल्कि निर्यात करेगा और इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी. सरकार पराली से सीएनजी बनाने का काम कर रही है. पराली के बायो प्रोडक्ट से मीथेन बनाया जायेगा और उससे हाइड्रोजन बनेगा.
ट्रायल सफल होने से आयेगा क्रांतिकारी बदलाव
सरकार की ओर से हाइड्रोजन ग्रीन मिशन के तहत 16 हाइड्रोजन चालित ट्रक को ट्रायल रन के लिए मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हाइड्रोजन फ्यूल आने वाले समय में परिवहन क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला सकता है. यह भविष्य का क्षेत्र है और आने वाले समय में भारत दुनिया में इस क्षेत्र का अग्रणी देश बनेगा. देश में हाइड्रोजन के स्टोरेज के लिए उचित व्यवस्था की जा रही है. हाइड्रोजन के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन कम होने के साथ ऊर्जा के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता भी कम होगी.
टाटा मोटर्स 18 महीने वाहनों का ट्रायल रन कर उसकी उपयोगिता को परखेगी. ट्रायल रन की सफलता के बाद ही तय होगा कि देश में हाइड्रोजन फ्यूल की संभावना कितनी है और इसके उपयोग पर कितना खर्च आयेगा. गौरतलब है कि हाइड्रोजन फ्यूल को भविष्य का ईंधन माना जा रहा है. हाइड्रोजन को पानी से बनाया जा सकता है, लेकिन हाइड्रोजन का उत्पादन और भंडारण अभी काफी महंगा है. सरकार की कोशिश इस कीमत को कम करने की है.