इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में मृत परिवारों को मुआवजा देने, घटना की सीबीआइ जांच सहित तमाम मांगों को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि याची ने कोई सर्च नहीं किया, केवल अखबार व पत्रिका की खबर के आधार पर याचिका दायर कर दी है.
महाकुंभ में अनियमितता आदि की रिपोर्ट मंगाने की प्रार्थना की गई है, लेकिन किससे मंगाई जाए, इसका जिक्र नहीं है. ऐसे किसी अतिरिक्त तथ्य की जांच की मांग नहीं है जो सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के दायरे से बाहर हो. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने केसर सिंह व दो अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है.
कोर्ट ने कहा,लगभग डेढ़ महीने महाकुंभ मेला चला, याचिका दायर करने से पहले याची ने प्राधिकारी से संपर्क नहीं किया और अखबार की कटिंग लेकर जनहित याचिका दायर कर दी. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि बिना सर्च किए केवल पेपर कटिंग के आधार पर याचिका दायर नहीं की जा सकती.
याचिका में मांग की गई थी कि महाकुंभ में अनियमितता के लिए उन लापरवाह अधिकारियों की जवाबदेही तय कर कार्रवाई रिपोर्ट मंगाई जाए.भीड़ नियंत्रित करने में प्रशासनिक विफलता, स्नान घाटों पर डुबकी लगाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं होना, श्रद्धालुओं को अनावश्यक परेशान किया जाना, पीपा पुलों को अनावश्यक बंद रखना, शटल बसों का सही तरीके से संचालन नहीं होना तथा ड्रोन से निगरानी न करने का आरोप लगाया गया था.
साथ ही 29 जनवरी मौनी अमावस्या को हुई भगदड़ में मृतक परिवारों की आर्थिक मदद देने जैसी मांगें थीं. अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की. कहा, बिना सोचे समझे अनर्गल आरोप लगाए गए हैं, इसका कोई आधार नहीं है. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जांच आयोग द्वारा की जा रही है. इसका दायरा बढ़ा दिया गया है. जांच प्रगति पर है. समानांतर जांच नहीं कराई जा सकती. यह केवल आयोग की जांच को बेपटरी करने की कोशिश है.
आपको बताते चलें कि महाकुंभ 2025 29 जनवरी मौनी आमवस्या के पावन स्नान पर्व के मौके पर हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी. अधिकारियों के अनुसार, अफवाह के कारण भगदड़ हुई थी.जिसमें 60 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.