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Illegal Immigrants: ‘डंकी रूट’ की भयावह दास्तां, लुट गए जमीन-पैसे, हथकड़ी और जंजीर हुई नसीब

Illegal Immigrants: अमेरिका से निर्वासित भारतीयों का तीसरा विमान शनिवार रात अमृतसर पहुंचा. 112 निर्वासितों में से 44 हरियाणा से, 33 गुजरात से, 31 पंजाब से, दो उत्तर प्रदेश से और एक-एक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से हैं. अमेरिका से निर्वासित कई भारतीयों ने डंकी रूट की भयावह दास्तां सुनाई. कैसे सबकुछ लुटाकर हथकड़ी और जंजीरों में बंध अपने घर लौटे.

Illegal Immigrants: डोनाल्ड ट्रंप के अवैध प्रवासियों के खिलाफ की जा रही कड़ी कार्रवाई के बाद सैकड़ों भारतीयों को हथकड़ियों और जंजीरों के साथ स्वदेश लौटना पड़ा. अमृतसर का रहने वाले दलजीत सिंह उन लोगों में शामिल हैं, जो अपने परिवार के बेहतर भविष्य की चाहत में अमेरिका गए थे और सबकुछ लुटाकर अपने घर लौट आए. दलजीत पिछले साल अपने पैतृक गांव को छोड़कर अमेरिका गए थे. उन्होंने बताया- अमेरिका से भारत लौटने के दौरान पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियां पहनाई गई थीं. हालांकि अमृतसर पहुंचने से पहले हथकड़िंया हटा ली गई थीं.

दलजीत ने सुनाई डंकी रूट की भयावह कहानी

दलजीत सिंह ने‘डंकी रूट’ की भयावह दास्तान बयान की. ‘डंकी’ मार्ग वह अवैध और जोखिम भरा मार्ग है जिसका इस्तेमाल प्रवासी अमेरिका में प्रवेश करने के लिए करते हैं. दलजीत ने बताया- उनके गांव के एक व्यक्ति ने 2022 में उन्हें एक ट्रैवल एजेंट से मिलवाया. एजेंट ने उसे कानूनी प्रक्रियाओं के तहत अमेरिका भेजने का आश्वासन दिया था और इसके बदले 65 लाख रुपये लिए थे. दलजीत ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और एजेंट को अपनी एक एकड़ जमीन का अग्रिम अनुबंध सौंप दिया.

नवंबर 2022 को शुरू की यात्रा

दलजीत ने बताया, जमीन गिरवी रखने के बाद उसने नवंबर 2022 में अपनी यात्रा शुरू की थी. उन्हें पहले दुबई भेजा गया. हालांकि 18 महीने बिताने के बाद वह भारत लौट आये थे. उसके बाद उन्हें डंकी रूट से 26 अगस्त को मुंबई से ब्राजील भेजा गया. ब्राजील और दूसरे देश में करीब एक-एक महीना बिताने के बाद उसने पैदल और टैक्सी के जरिए कठिन इलाकों को पार किया. पनामा को पार करने में उन्हें तीन दिन लगे. दलजीत को नदियां, नाले और पहाड़ों को पार करना पड़ा और मैक्सिको पहुंचे. इस दौरान उसे कई बाद केवल चावल खाकर गुजारा करना पड़ा.

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अमेरिका पहुंचते ही गिरफ्तार हुए दलजीत

दलजीत सिंह ने बताया- उन्हें 27 जनवरी को अवैध रूप से तिजुआना के रास्ते अमेरिकी सीमा के पार भेज दिया गया, जहां अमेरिकी गश्ती दल के अधिकारियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया. हिरासत में उसके साथ बुरा व्यवहार किया गया. उन्हें अपने कमरे से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी. उन्हें दिनभर खाने में केवल एक बोतल पानी, एक पैकेट चिप्स और एक सेब मिलता था.

ArbindKumar Mishra
ArbindKumar Mishra
मुख्यधारा की पत्रकारिता में 14 वर्षों से ज्यादा का अनुभव. खेल जगत में मेरी रुचि है. वैसे, मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर काम करता हूं. झारखंड की संस्कृति में भी मेरी गहरी रुचि है. मैं पिछले 14 वर्षों से प्रभातखबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इस दौरान मुझे डिजिटल मीडिया में काम करने का काफी अनुभव प्राप्त हुआ है. फिलहाल मैं बतौर शिफ्ट इंचार्ज कार्यरत हूं.

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