Indian Military Bases: दुनिया भर में हालात ऐसे बन चुके हैं कि एक छोटे से विवाद के चलते बड़े युद्ध छिड़ सकते हैं. ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका की एंट्री और फिर कतर में अमेरिकी एयरबेस पर हमला इस बात का उदाहरण है कि कैसे किसी एक देश का युद्ध अंतरराष्ट्रीय रंग ले सकता है.
ऐसे हालात में यह सवाल भी उठता है कि क्या कोई देश किसी दूसरे देश में सैन्य अड्डा (मिलिट्री बेस) बना सकता है? और अगर हां, तो उसकी जरूरत क्यों पड़ती है? क्या भारत के भी ऐसे बेस हैं? आइए विस्तार से जानते हैं.
क्या होता है सैन्य अड्डा और क्यों जरूरी होता है?
सैन्य अड्डा (Military Base) किसी देश का ऐसा ठिकाना होता है, जो किसी अन्य देश की ज़मीन पर बनाया गया हो और जहां सेना, हथियार, युद्धपोत, विमान और आवश्यक लॉजिस्टिक संसाधन मौजूद रहते हैं.
भारत के विदेशी सैन्य अड्डे कहां-कहां हैं?
भारत ने भी अपने रणनीतिक हितों की रक्षा और चीन-पाकिस्तान जैसे देशों की घेराबंदी के लिए कई देशों में सैन्य मौजूदगी स्थापित की है:
फारखोर एयरबेस – ताजिकिस्तान
यह भारत का पहला विदेशी एयरबेस है. यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के पास स्थित है. यहां से भारत की पहुंच अफगानिस्तान और मध्य एशिया में बनी रहती है.
भूटान – इंडियन मिलिट्री ट्रेनिंग टीम (IMTRAT)
भारत और भूटान के मजबूत सैन्य संबंध हैं. यहां भारत की स्थायी सैन्य प्रशिक्षण टीम तैनात है, जो भूटानी सेना को ट्रेनिंग देती है.
मॉरीशस – कोस्टल निगरानी
मॉरीशस में भारत का एक निगरानी और समुद्री सुरक्षा तंत्र है. यह हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक पकड़ को मजबूत करता है.
ओमान – रस अल हद्द और डुक्म
रस अल हद्द में भारत का लिसनिंग पोस्ट है, जहां से इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाती है. डुक्म में एक नेवल और एयरबेस सुविधा है, जिसका उपयोग भारतीय वायुसेना और नौसेना करती है.