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भारत का आईटी कानून वैश्विक मानवाधिकार मानदंडों के खिलाफ, UN ने लिखा पत्र, भारत ने दिया ये जवाब..

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के नए आईटी रूल्स (IT Rules) अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मानदंडों पर खरा नहीं उतरते. यूएन ने भारत के आईटी कानून 2021 को लेकर चिंता भी जताई है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, भारत के नये आईटी कानून 2021 के कई पहलू अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का पालन नहीं करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के नए आईटी रूल्स (IT Rules) अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मानदंडों पर खरा नहीं उतरते. यूएन ने भारत के आईटी कानून 2021 को लेकर चिंता भी जताई है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, भारत के नये आईटी कानून 2021 के कई पहलू अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का पालन नहीं करते हैं. यूएन के जानकारों ने इसको लेकर भारत सरकार को पत्र भी लिखा है.

यूएन का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बहुदलीय लोकतंत्र, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. यून की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, नये आईटी नियम को लेकर भारत को विचार-विमर्श करना चाहिए. ताकी नियम अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के खिलाफ न हो.

यूएन का कहना है कि भारत तकनीकी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है. इस क्षेत्र में भारत ग्लोबल लीडर की भूमिका अदा कर रहा है. इसके अलावा भारत को आईटी और इससे जुड़ें क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का भी अधिकार है. ताकी डिजिटल अधिकारों की रक्षा हो सके. लेकिन साथ में रिपोर्ट में यह भी कहा है कि बहुत ज्यादा लंबा-चौड़ा नियम अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के खिलाफ होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत के नए आईटी कानून इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) का उल्लंघन कर रहे हैं, रिपोर्ट में कहा गया है कि यही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि का आधार है. इसलिए हम सरकार से नियमों की व्यापक समीक्षा करने और मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी कानून पर फिर से विचार विमर्श करने की अपील करते हैं.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिया जवाबः वहीं, आईटी कानून को लेकर केंद्रीय कानून और दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों के लिए केंद्र के दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर बनाये गये थे. वहीं, उन्होंने ये भी कहा था कि, भारत को मुनाफाखोर अमेरिकी कंपनियों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्याख्यान की आवश्यकता नहीं है. अगर कोई कंपनी भारत में संचालित होती है तो उसे भारतीय कानून मानना पडेगा.

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar Digital Desk
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