Indian Railways: रेलवे मैनुअल के अनुसार भारत में ट्रेनें दो मुख्य श्रेणियों में बांटी जाती हैं—पैसेंजर और गुड्स (मालगाड़ी). चाहे वह हाई-स्पीड वंदेभारत हो या हर स्टेशन पर रुकने वाली लोकल, अगर उसमें यात्री यात्रा कर रहे हैं, तो वह ‘पैसेंजर ट्रेन’ है. दूसरी ओर माल ढोने वाली सभी ट्रेनें ‘गुड्स ट्रेन’ मानी जाती हैं. इसीलिए रेलवे अपने आधिकारिक दस्तावेज़ों और आदेशों में राजधानी, शताब्दी, वंदेभारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों को भी ‘पैसेंजर’ श्रेणी में दर्ज करता है.
देश में चल रही हैं 13,000 से अधिक पैसेंजर ट्रेनें
भारत में प्रतिदिन 13,000 से अधिक पैसेंजर ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जिनमें सुपरफास्ट, मेल, एक्सप्रेस, लोकल और प्रीमियम ट्रेनें शामिल हैं. इनमें से करीब 3,000 ट्रेनें सुपरफास्ट या प्रीमियम श्रेणी में आती हैं. हर दिन लगभग 2 करोड़ लोग इन ट्रेनों से सफर करते हैं. यदि गुड्स ट्रेनों को भी जोड़ लिया जाए, तो कुल ट्रेनें 23,000 से ज्यादा हो जाती हैं.
रेलवे का हो रहा लगातार विस्तार
भारतीय रेलवे का नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क्स में से एक है. मौजूदा समय में रेलवे लाइन की कुल लंबाई 75,000 किमी है, जबकि अगर ट्रैकों की गिनती करें तो यह आंकड़ा 1.30 लाख किमी हो जाता है. रेलवे हर साल औसतन 5,000 किमी नया ट्रैक जोड़ रहा है और अगले पांच सालों में यह लंबाई 1.5 लाख किमी तक पहुंच सकती है.
कोचों की स्थिति
भारतीय ट्रेनों में सबसे ज्यादा भीड़ नॉन-एसी श्रेणी यानी जनरल और स्लीपर क्लास में होती है. यही वजह है कि कुल 68,534 पैसेंजर कोचों में से 44,946 कोच नॉन-एसी हैं. वहीं एसी कोचों की संख्या 23,588 है. इन आंकड़ों में सबअर्बन (लोकल) ट्रेनों के कोच शामिल नहीं हैं.