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इशरत जहां मुठभेड़ की जांच करने वाले IPS अफसर सतीश चंद्र वर्मा बर्खास्त, SC में सरकारी आदेश को दी चुनौती

मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा ने गृह मंत्रालय के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. यह बात दीगर है कि सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्त किए जाने का आदेश जारी करने के असली कारण का अभी तक पता नहीं चल सका है.

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले की जांच करने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्त कर दिया है. इसके साथ ही, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सतीश चंद्र वर्मा की बर्खास्तगी का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के सामने पेश कर दिया है. आईपीएस अफसर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपने खिलाफ होने वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती दी थी. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट पिछले एक साल से सतीश चंद्र वर्मा को किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान कर रहा था. उधर, खबर यह भी है कि सतीश चंद्र वर्मा ने सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच में सीबीआई को की थी मदद

गुजरात में इशरत जहां की कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में उन्होंने अपना सहयोग दिया था. भारतीय पुलिस सेवा में 1986 बैच के अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को केंद्र सकार ने पिछले 30 अगस्त को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्खास्तगी का आदेश दिया था. वे 30 सितंबर को रिटायर होने वाले थे.

आईपीएस अफसर ने केंद्र के आदेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती

मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा ने गृह मंत्रालय के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. यह बात दीगर है कि सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्त किए जाने का आदेश जारी करने के असली कारण का अभी तक पता नहीं चल सका है. अगर वर्मा की बर्खास्तगी का आदेश लागू होता है, तो उन्हें पेंशन और अन्य फायदे नहीं मिलेंगे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा की आखिरी पदस्थापना तमिलनाडु में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक के तौर पर थी.

सतीश चंद्र वर्मा को एक साल से मिला है कोर्ट का संरक्षण

मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, जहां आईपीएस अधिकारी ने अपने खिलाफ कई अनुशासनात्मक कार्रवाई को चुनौती दी थी. केंद्र सरकार ने 1 सितंबर से बर्खास्तगी आदेश लागू करने की मांग करते हुए एक आवेदन किया था. लगभग एक साल तक सतीश चंद्र वर्मा को हाईकोर्ट की ओर से संरक्षित किया गया, जिसने सरकार को आदेश दिया कि वह अनुशासनात्मक कार्रवाई पर त्वरित कदम नहीं उठाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट में दी सरकार के आदेश को चुनौती

उधर, खबर यह भी है कि आईपीएस अफसर सतीश चंद्र वर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सतीश चंद्र वर्मा के वकील सरीम नावेद ने कहा कि हमारे पास अभी भी सितंबर तक का समय है. हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट में सतीश चंद्र वर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्ति से पहले याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने का आदेश दिया है, जो अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुसार वैधानिक रूप से जायज नहीं है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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