Jagdeep Dhankhar: जगदीप धनखड़ ने शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर न्यायपालिका पर तीखा प्रहार किया था. उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग हर दिन राज्यसभा में विपक्ष के साथ उनका टकराव होता था. धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान न्यायालय पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर मुखर होकर सवाल किया था. उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करने पर न्यायालय के फैसले की कड़ी आलोचना की थी. उन्होंने संसद द्वारा सर्वसम्मती से पारित कानून को रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाया था.
किसानों के मुद्दे पर सरकार पर बरसे
किसान परिवार से आने वाले जगदीप धनखड़ ने एक मौके पर किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार से सवाल पूछे थे. दिसंबर 2024 में मुंबई में आईसीएआर-सीआईआरसीओटी के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए धनखड़ ने कहा था, “कृषि मंत्री जी, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे बताएं कि किसान से क्या वादा किया गया था? वादा पूरा क्यों नहीं किया गया? वादा पूरा करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?” उन्होंने कहा, “पिछले साल भी एक आंदोलन हुआ था, इस साल भी एक आंदोलन हुआ है.” धनखड़ ने कहा, “समय का पहिया घूम रहा है, हम कुछ नहीं कर रहे हैं. पहली बार मैंने भारत को बदलते देखा है. पहली बार मुझे एहसास हो रहा है कि भारत का विकास हमारा सपना नहीं, बल्कि हमारा लक्ष्य है. भारत दुनिया में इतनी ऊंचाई पर कभी नहीं था” धनखड़ ने किसानों से बात करते हुए कहा था, “जब ऐसा हो रहा है, तो मेरा किसान क्यों परेशान और पीड़ित है? किसान ही असहाय है.”
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ट्रंप को भी धनखड़ ने दिया था करारा जवाब
जगदीप धनखड़ ने इस्तीफ देने से ठीक दो दिन पहले शनिवार को इशारों-इशारों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब दिया था. धनखंड ने कहा था, “लोगों को किसी आख्यान से प्रभावित नहीं होना चाहिए क्योंकि दुनिया की कोई भी ताकत भारत को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे अपने मामलों को कैसे संभालना है.” उन्होंने आगे कहा, “भारत आपसी सहयोग से काम करता है, परस्पर सम्मान रखता है और अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संवाद करता है. लेकिन हम संप्रभु हैं, हम अपने फैसले खुद लेते हैं.’’ धनखड़ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया भारत-पाकिस्तान झड़प में ‘संघर्ष विराम’ कराने के दावे पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहा है.
जज पर भी बोले थे धनखड़
जगदीप धनखड़ ने जजों पर भी कड़ी टिप्पणी की थी. उन्होंने ने कहा था, “हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है.”
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अनुच्छेद 142 को धनखड़ ने बताया था परमाणु मिसाइल
धनखड़ ने अनुच्छेद 142 की चर्चा करते हुए कहा था, “अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है और कोर्ट के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है.” संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अपने समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने हेतु आदेश जारी करने की शक्ति देता है. इस शक्ति को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण शक्ति के रूप में भी जाना जाता है. धनखड़ ने कहा था, “हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है. हम किस दिशा में जा रहे हैं?देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना चाहिए. यह सवाल नहीं है कि कोई पुनर्विचार याचिका दायर करता है या नहीं. हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र की कभी उम्मीद नहीं की थी. राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने के लिए कहा जाता है और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह कानून बन जाता है.” धनखड़ ने कहा था, “हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर?