Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं. धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था. वह राज्यसभा के सभापति भी हैं और उन्होंने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही इस्तीफा दे दिया. हाल में उनकी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एंजियोप्लास्टी हुई थी.
धनखड़ ने अपने पत्र में क्या लिखा?
धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं.” उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, “मैं भारत के राष्ट्रपति के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं, जिनका समर्थन अडिग रहा। उनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा.’’ धनखड़ ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है.” उन्होंने कहा, “सभी संसद सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह सदैव मेरी स्मृति में रहेगा.” धनखड़ ने यह भी कहा कि वह भारत के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और ज्ञान के लिए बहुत आभारी हैं. उन्होंने पत्र में कहा, “इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना और उसमें भाग लेना सौभाग्य और संतुष्टि की बात है. हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना एक सच्चा सम्मान है.” उन्होंने कहा, “इस सम्मानित पद से विदा लेते हुए, मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूं और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं.”
धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेसी नेता क्या बोले?
कांग्रेस ने कहा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का त्यागपत्र समझ से परे है और उन्हें अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि यही राष्ट्रहित में होगा. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए मनाएंगे. कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने कहा, “यह बहुत ही चौंकाने वाला और आश्चर्यजनक है कि अचानक शाम को ऐसी खबर आई. धनखड़ साहब ने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन मुझे लगता है कि जहां तक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का सवाल है, यह सरकार के दबाव में इस्तीफा देने जैसा लगता है. शायद सरकार ने यह फैसला उन पर थोपा हो. यह देश या देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए सही नहीं है… मुझे लगता है कि भारत के इतिहास में पहली बार किसी उपराष्ट्रपति ने खुद ही इस्तीफा दे दिया है. पद कोई भी हो, सरकार इस देश को मनमाने तरीके से चलाना चाहती है और यह हमारे सामने है.”
धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ
राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में, धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ, जिसने उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था. उन्हें हटाने का प्रस्ताव, बाद में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था. यह प्रस्ताव स्वतंत्र भारत में किसी वर्तमान उपराष्ट्रपति को हटाने का पहला मामला था.
धनखड़ पद पर रहते हुए इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति बन गए
धनखड़ पद पर रहते हुए इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति हैं. इससे पहले वी वी गिरि ने 20 जुलाई, 1969 को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.