Justice Verma Cash at home case: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आपका आचरण विश्वास पैदा नहीं करता, आप आंतरिक जांच समिति के समक्ष क्यों पेश हुए. आपको आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट के खिलाफ हमारे पास पहले आना चाहिए था . जस्टिस वर्मा ने आंतरिक जांच रिपोर्ट और पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा उन्हें कैश एट होम केस में उन्हें हटाने की सिफारिश करने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस वर्मा का पक्ष रखते हुए उनके वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि आंतरिक जांच समिति का जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश करना असंवैधानिक है. इस तरह से हटाने की सिफारिश एक खतरनाक मिसाल कायम करेगी . कोर्ट ने उनसे कहा कि अगर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के पास कदाचार से संबंधित कोई सामग्री है, तो वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं. इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की पीठ कर रही है. पीठ ने जब जस्टिस वर्मा से कहा कि उन्हें पहले हमारे पास आना चाहिए था, तो उनके वकील ने दलील दी कि टेप जारी हो चुका था और उनकी छवि खराब हो चुकी थी.
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क्या है मामला
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में मार्च महीने में आग लगी थी. इस आग में उनके स्टोर रूम में भी आग लगी थी, जहां बड़ी मात्रा में जले हुए नोट बरामद किए गए थे. हालांकि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार वालों ने इस बात से इनकार किया था उन्होंने स्टोर रूम में कोई पैसे रखे थे. उन्होंने इसे बदनाम करने की साजिश बताया था. जले हुए नोट 500 रुपए के बंडल थे. इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने तीन न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक आंतरिक कमेटी गठित की. इस कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा पेश हुए जिसने यह माना कि उनका उनके घर के स्टोर रूम पर कब्जा था. इसके बाद चीफ जस्टिस ने वो रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी और उन्हें हटाने की सिफारिश की.
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