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Justice Yashwant Varma : जज यशवंत वर्मा के इस्तीफे की मांग, कानून के विशेषज्ञों ने कह दी बड़ी बात

Justice Yashwant Varma : दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से नकदी की बरामदगी का मामला गरमा गया है. वकीलों ने तबादला करने पर सवाल उठाया और इस्तीफे की मांग की.

Justice Yashwant Varma : दिल्ली हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिला. इसके बाद कानून के विशेषज्ञों ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. विशेषज्ञों ने उनका कथित तौर पर तबादला करने के कॉलेजियम के फैसले पर सवाल उठाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है. वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने मामले को ‘बहुत गंभीर’ बताया. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए. एक न्यायाधीश से ‘पूरी तरह ईमानदार’ होने की अपेक्षा की जाती है. यह एक ऐसा पेशा है, जिसमें इसे (भ्रष्टाचार को) बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये.

विकास सिंह ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस तरह के मामले में तबादला कोई समाधान नहीं है. उनसे इस्तीफा देने को कहा जाना चाहिए.’’ वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को आंतरिक जांच करानी चाहिए. न्यायाधीश को अपनी बात कहने का अवसर देकर सभी तथ्यों का पता लगाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीश की प्रतिष्ठा है, इसलिए उन्हें बरामदगी के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए. यह ऐसा मामला नहीं है, जिसे दबाया जा सके.’’

जजों की नियुक्तियां अधिक सावधानी से की जानी चाहिए: कपिल सिब्बल

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति वर्मा के मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि ‘न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार का मुद्दा बहुत गंभीर है. यह कोई पहली बार नहीं है, जब देश के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और वकीलों ने ऐसी बात कही हो. सिब्बल ने कहा, ‘‘इसलिए, मेरा मानना ​​है कि अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करना शुरू करे कि नियुक्ति प्रक्रिया किस प्रकार होनी चाहिए. यह अधिक पारदर्शी होनी चाहिए, नियुक्तियां अधिक सावधानी से की जानी चाहिए.

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14 मार्च को घटित हुई इस घटना की जानकारी 21 मार्च को सामने आई

वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को तथ्यों का ‘‘पूर्ण, स्वतंत्र और स्पष्ट’’ खुलासा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि 14 मार्च को कथित तौर पर घटित हुई इस घटना की जानकारी 21 मार्च को सामने आई. जयसिंह ने कहा, ‘‘इसलिए, मेरा दृष्टिकोण कॉलेजियम और उसके काम करने के तरीके पर सवाल उठाना होगा. कॉलेजियम का यह कर्तव्य है कि जब मामले के तथ्य उसके संज्ञान में आएं, तो उनका पूर्ण, स्वतंत्र और स्पष्ट खुलासा किया जाए.’’ वरिष्ठ वकील ने कहा कि संबंधित न्यायाधीश को कॉलेजियम के समक्ष अपना स्पष्टीकरण देने का पूर्ण अधिकार है, जिसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए.

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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