Land Reform:भूमि विवाद को लेकर देश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. 6 दिनों तक चलने वाले सेमिनार में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्वी एशिया के 22 देश शामिल हुए. इस सेमिनार में 44 विदेशी अधिकारियों ने वैश्विक भूमि शासन की चुनौतियों के संबंध में विस्तृत चर्चा की. इस दौरान भूमि संबंधी विवाद से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने पर विचार किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमि संबंधी विवाद में इनोवेशन और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए अपनाये गए पहलों पर चर्चा की गयी. इस दौरान भारत में चल रहे स्वामित्व योजना के कारण आ रहे बदलाव को दूसरे देशों में लागू करने पर विचार किया गया.
वैश्विक स्तर पर भूमि संबंधी विवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के गुरुग्राम में आयोजित हो रहा है. केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय लैंड गवर्नेंस पर अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन कर रहा है. इस कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय का इंडियन टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कॉपरेशन और हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के सहयोग से 24-29 मार्च तक इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. सेमिनार में 22 देशों जैसे तुर्कमेनिस्तान, कोलंबिया, जिम्मा बाबे, फिजी, माली, सीरिया लियोन, वेनेजुएला, मंगोलिया, तंजानिया, उज्बेकिस्तान, घाना, अर्मेनिया, होंडुरास जैसे देश के 40 वरिष्ठ अधिकारी भूमि सुधार के अच्छे पहलों पर विचार-विमर्श करेंगे. इस दौरान लैंड गवर्नेंस, सतत विकास, जमीनों के ड्रोन आधारित सर्वे, जमीनों की मैपिंग जैसे विषयों पर विशेषज्ञ मंथन करेंगे.
चुनौतियों का मिलकर करना होगा सामना
सेमिनार के दौरान भारत में होने वाले ड्रोन सर्वे, जमीनी आंकलन और जीआईएस पंजीकरण को प्रस्तुत किया जायेगा. इस दौरान विदेशी विशेषज्ञों को भारत में चल रहे स्वामित्व योजना के जमीनी हकीकत से रूबरू कराने की कोशिश होगी. इस दौरान ड्रोन वेंडर्स प्रदर्शनी का आयोजन होगा, जिसमें जमीन सर्वे में काम आने वाले आधुनिक ड्रोन तकनीक से लाेगाें को अवगत कराया जायेगा. सेमिनार को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के अपर सचिव विराज सिंह ने कहा कि कूटनीतिक तरीके के हर समस्या का समाधान संभव है. समान चुनौतियों का सामना करने वाले देशों को एक साथ मिलकर भूमि प्रशासन की समस्या का समाधान करना होगा.
योजना का मकसद भूमि विवाद को कम करना
इस मौके पर पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव सुशील कुमार लोहानी ने कहा कि स्वामित्व योजना को लागू करने का मकसद भूमि संबंधी विवाद को कम करना है. इस योजना के तहत 3.16 लाख गांव का नक्शा बनाया जा चुका है और यह लगभग 67 हजार वर्ग किलोमीटर है. इस योजना के सफल क्रियान्वयन से भूमि संबंधी विवाद के कारण लोगों काे हजारों करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है. कार्यक्रम में सर्वे ऑफ इंडिया, राज्यों के जमीन राजस्व विभाग के अधिकारी, नेशनल इंफामेटिक सेंटर, जियो स्पेशियल वर्ल्ड, हेक्सागॉन जैसी कई संस्था शामिल होगी.
गौरतलब है कि विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर सिर्फ 30 फीसदी लोगों के पास जमीनों का वैध मालिकाना हक है. भारत में भूमि संबंधी विवाद को दूर करने के लिए स्वामित्व योजना शुरू की गयी और यह पूरी सटीकता से काम कर रही है. इस योजना से आम लोगों को भूमि संबंधी अधिकार मिल रहा है.