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New Flag of Indian Navy: मराठा राजा शिवाजी को बताया भारतीय नौसेना का पिता, जानें ऐतिहासिक वास्तविकता

नौसेना द्वारा जारी एक वीडियो के अनुसार, नीले अष्टकोणीय आकार में एक लंगर के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक को शामिल किया गया है जो दृढ़ता को दर्शाता है. यह नौसेना के आदर्श वाक्य सम नो वरुणः के साथ एक ढाल पर लगाया गया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 2 सितंबर को नए नौसैनिक ध्वज का अनावारण किया और इसे मराठा राजा शिवाजी को समर्पित किया. उन्होंने अनवारण के कुछ ही देर बाद एक वीडियो जारी किया था, जिसमें भारतीय नौसेना की विरासत और शिवाजी से प्रेरित ध्वज के डिजाइन पर विस्तार से चर्चा की थी. हालांकि अब एक बहस खड़ा हो गया है, जिसमें कहा गया है कि इतिहास में इसके वास्तविकता को छिपाया गाय है.

भारत ने गुलामी के बोझ को सीने से उतारा

पीएम मोदी ने नौसेना के नए ध्वज के अनावरण के मौके पर कहा था कि, आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है. आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है. भारतीय नौसेना के झंडे पर अब तक गुलामी की पहचान बनी हुई थी. लेकिन आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित नौसेना का नया झंडा समुद्र और आसमान में लहराएगा. सोशल मीडिया पर नए ध्वज का कई लोगों ने समर्थन किया है, वहीं‍, कुछ नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी नए डिजाइन को लेकर बहुत खुश नहीं है. अधिकारियों की मानें तो नए ध्वज के अनावरण उत्सव से चोल वंश का जिक्र गायब था. जबकि पहले विश्व युद्ध के दौरान चोल की भूमिका अहम थी.

नौसेना ने नए ध्वज को ऐसे किया परिभाषित

नौसेना द्वारा जारी एक वीडियो के अनुसार, नीले अष्टकोणीय आकार में एक लंगर के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक को शामिल किया गया है जो दृढ़ता को दर्शाता है. यह नौसेना के आदर्श वाक्य सम नो वरुणः के साथ एक ढाल पर लगाया गया है, जिसका अर्थ है: हमारे लिए शुभ हो ओह वरुण. अष्टकोणीय आकार आठ दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है जो भारतीय नौसेना की बहु-दिशात्मक पहुंच और बहु-दिशात्मक परिचालन क्षमता का प्रतीक है.

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जानें क्यों कहते है शिवाजी को नौसेना के पिता

मराठा राजा शिवाजी को भरतीय नौसेना की नींव रखने का क्रेडिट दिया जाता है. कई इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि शिवाजी पहले ऐसे हिंदुस्तानी शासक थे जिन्होंने नौसेना का गठन किया. उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र की रक्षा के लिए तट पर कई किले बनावाए हैं, जिनमें जयगढ़, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और अन्य स्थानों पर बने किले शामिल थे. इतिहासकारों के अनुसार विदेशी आक्रांताओं को रोकने के लिए शिवाजी ने नौसेना की गठन की थी. ये भी माना जाता है कि उस फोर्स में करीब 5,000 सैनिक थे. इतिहासकारों के अनुसार शिवाजी से पहले उनके पिता और पूर्वजों ने विदेशी आक्रांताओं से लड़ने के लिए किसानों और आम नागरिकों को सेना में भर्ती करते थे. लेकिन शिवाजी ने नौसेना का गठन कर इस परंपरा को बदला और लोगों को प्रशिक्षण देकर सेना में बहाल करने की परंपरा की शुरूआत की.

Piyush Pandey
Piyush Pandey
Senior Journalist, tech enthusiast, having over 10 years of rich experience in print and digital journalism with a good eye for writing across various domains.

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