MCD: दिल्ली में सत्ता पर काबिज होने के बाद भाजपा की नजर आम आदमी पार्टी को दिल्ली नगर निगम से बेदखल करने की है. इसे लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के कई पार्षद भाजपा में शामिल हाे गए थे. दिल्ली की सत्ता पर भाजपा की वापसी के बाद दिल्ली नगर निगम में सियासी संतुलन बदलने की पूरी संभावना है. मौजूदा समय में दिल्ली नगर निगम के मेयर पद पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है. मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी नजदीकी मुकाबले में भाजपा को हराने में कामयाब रही थी. अब मेयर का चुनाव अप्रैल महीने में होना है और भाजपा की कोशिश अपना मेयर बनाने की है. दिल्ली नगर निगम की मौजूदा हालात पर गौर करें तो नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं, जिसमें 12 खाली हैं.
भाजपा के 7 और आम आदमी पार्टी के 4 पार्षद विधायक बन चुके हैं. वहीं भाजपा पार्षद रही कमलजीत सहरावत पश्चिमी दिल्ली से सांसद बन चुकी है. पार्षदों के खाली सीट का चुनाव मेयर चुनाव के बाद होने की संभावना है. ऐसे में नगर निगम में पार्षदों की कुल संख्या 238 है, जिसमें अध्यक्ष की ओर से मनोनीत 14 विधायकों, 10 सांसद (लोकसभा के 7 और राज्यसभा के 3) सांसदों को भी मेयर चुनाव में मतदान का अधिकार है. ऐसे में आंकड़ों के अनुसार भाजपा का पलड़ा भारी लग रहा है. संख्या के हिसाब से नगर निगम में भाजपा के पास 131 और आम आदमी पार्टी के पास 122 वोट हैं. मेयर का चुनाव जीतने के लिए किसी पार्टी के पास कम से कम 131 वोट होना चाहिए. संख्या के हिसाब से भाजपा का पलड़ा भारी लग रहा है और उसके जीत की संभावना प्रबल है.
नगर निगम की सत्ता से बाहर होने पर आप के लिए बढ़ेगी मुश्किलें
दिल्ली की सत्ता पर दो बार प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने के बाद भी आम आदमी पार्टी को दिल्ली नगर निगम की सत्ता पर काबिज होने में लंबा समय लग गया है. वर्ष 2022 में आम आदमी पार्टी ने 15 साल से नगर निगम की सत्ता पर काबिज भाजपा को हराने में कामयाबी हासिल की थी. वर्ष 2022 में कई साल बाद संयुक्त नगर निगम का चुनाव हुआ. नगर निगम की कुल 250 सीटों में से आम आदमी पार्टी 134, भाजपा 104, कांग्रेस 9 और 3 निर्दलीय पार्षद चुनाव जीतने में कामयाब रहे. लेकिन समय के साथ नगर निगम में पार्षदों के पाला बदलने के बाद से सत्ता संतुलन आम आदमी पार्टी के खिलाफ होता गया. अब ऐसा लगता है कि भाजपा दिल्ली में लोकसभा, विधानसभा के बाद नगर निगम में भी सत्ता पर काबिज होने में कामयाब होगी.
पार्षदों के पाला बदलने के बाद आम आदमी पार्टी की स्थिति नगर निगम में कमजोर हुई है. साथ ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक तनाव का असर पर नगर निगम पर दिखना तय है. अप्रैल में अगर भाजपा मेयर चुनाव जीतने में सफल रहती है तो इससे राजनीतिक तौर पर आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगेगा. यह दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी के भविष्य को तय करने की दिशा तय करेगा.