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केंद्र सरकार ने मातृभाषा सर्वेक्षण का काम किया पूरा, झारखंड के एलएसआई का हो गया प्रकाशन

गृह मंत्रालय के अनुसार, भारतीय भाषा सर्वेक्षण (एलएसआई) एक नियमित शोध गतिविधि है. इस परियोजना के तहत पहले के प्रकाशनों के क्रम में एलएसआई झारखंड का काम पूरा हो गया है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने भारत में मातृभाषा सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है. इसके तहत गृह मंत्रालय की ओर से पूरे देश में करीब 576 बोलियों और भाषाओं का सर्वेक्षण कराया गया है. इसमें झारखंड में प्रचलित बोली और भाषाओं के लिए कराए गए भारतीय भाषा सर्वेक्षण (एलएसआई) का प्रकाशन भी हो गया है. दूसरे चरण में हिमाचल प्रदेश के एलएसआई का प्रकाशन जल्द ही पूरा होने की संभावना है. गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक स्वदेशी मातृभाषा के वास्तविक रूप को संरक्षित करने और उसका विश्लेषण करने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) में एक ‘वेब’ संग्रह स्थापित करने की योजना बनाई गई है. इसके लिए स्वदेशी भाषाओं से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित करने का काम जारी है.

576 मातृभाषा की फील्ड वीडियोग्राफी

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मातृभाषा सर्वेक्षण (एमटीएसआई) परियोजना का काम 576 मातृभाषाओं की ‘फील्ड वीडियोग्राफी’ के साथ सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. गृह मंत्रालय के अनुसार, भारतीय भाषा सर्वेक्षण (एलएसआई) एक नियमित शोध गतिविधि है. इस परियोजना के तहत पहले के प्रकाशनों के क्रम में एलएसआई झारखंड का काम पूरा हो गया है और एलएसआई हिमाचल प्रदेश का काम पूरा होने वाला है. एलएसआई तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश का क्षेत्रीय कार्य जारी है.

एनआईसी सर्वर पर शेयर किया जाएगा स्पीच डेटा

रिपोर्ट में कहा गया है कि मातृभाषाओं के ‘स्पीच डेटा’ का संग्रह करने के उद्देश्य से इसकी वीडियो को ‘एनआईसी सर्वर’ पर साझा किया जाएगा. गृह मंत्रालय ने कहा कि आगामी जनगणना में अपडेटेड भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी सहित कई नई पहल की गई है. जनगणना का काम कोरोना वैश्विक महामारी के कारण रोक दिया गया था. वर्ष 2011 की जनगणना के बाद से 31 दिसंबर 2019 तक देश में हुए क्षेत्राधिकार परिवर्तन को भू-संदर्भित ‘डेटाबेस’ में अपडेट किया गया है और इसे आगे भी अपडेट किया जा रहा है.

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जनगणना के नतीजों का प्रसार

इसके अलावा, गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि वेब आधारित इंटरेक्टिव मानचित्रों के माध्यम से जनगणना परिणामों के प्रसार के प्रयास किए जा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से कुछ पहलों में जनगणना मानचित्रण गतिविधियों को त्वरित और कुशल तरीके से पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर के संस्करणों और री-मॉड्यूल की खरीद और नवीनतम सॉफ्टेवयर का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित सभी मैपिंग श्रमशक्ति शामिल हैं.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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