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मोरबी पुल हादसा : ओरेवा ग्रुप के मैनेजर ने कोर्ट में मौत के तांडव को ‘एक्ट ऑफ गॉड’

फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट में च अधिकारी (आईओ) ने कहा कि केबल वाला पुल जंग खा रहा था. जांच अधिकारी ने कहा कि पुल के केवल फर्श की मरम्मत की गई थी और केबलों को नहीं बदला गया था.

मोरबी (गुजरात) : गुजरात के मोरबी पुल हादसा मामले में बुधवार को अतिरिक्त लोक अभियोजक ने एक बड़ा खुलासा किया है. अतिरिक्त लोक अभियोजक एचएस पांचाल ने कहा कि ओरेवा कंपनी के मैनेजरों में से एक ने अदालत को बताया कि ‘दैविक प्रकोप’ की वजह से यह दुखद हादसा हुआ है. मोरबी पुल हादसे में ओरेवा कंपनी के दो मैनेजरों को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ ही, अदालत में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि केबल तार वाले पुल आम जनता के लिए खोले जाने की स्थिति में नहीं था, वह जंग खाए हुए थे.

केबल वाले पुल में लगा हुआ था जंग

समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार, फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट में च अधिकारी (आईओ) ने कहा कि केबल वाला पुल जंग खा रहा था. जांच अधिकारी ने कहा कि पुल के केवल फर्श की मरम्मत की गई थी और केबलों को नहीं बदला गया था. यहां तक कि इन केबल के तारों की ग्रीसिंग भी नहीं की गई थी. एफएसएल अधिकारी ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह एक पुराना केबल था.

पुलिस की रिमांड पर भेजे गए आरोपी

बुधवार को पुलिस की हिरासत में भेजे गए आरोपियों के बारे में पूछे जाने पर अतिरिक्त लोक अभियोजक एचएस पांचाल ने कहा कि जिन 4 लोगों को पुलिस हिरासत में भेजा गया, उनमें से दो ओरेवा कंपनी के मैनेजर हैं और दो अन्य ने पुल के निर्माण का काम किया था. इसके अलावा, जिन पांच अन्य लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, वे सुरक्षाकर्मी और टिकट विक्रेता हैं.अतिरिक्त लोक अभियोजक एचएस पांचाल के अनुसार, एफएसएल रिपोर्ट में जांच अधिकारी (आईओ) ने कहा कि पुल के रखरखाव के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी किए बिना ही कंपनी को सीधा ठेका दे दिया गया था.

हादसे में 135 लोगों की मौत

गुजरात के मोरबी स्थित निचली अदालत ने 30 अक्टूबर को सदी के सबसे पुराने पुल के ढहने से करीब 135 लोगों की मौत के मामले में गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से चार लोगों को पुलिस हिरासत में और शेष पांच को 5 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. पुलिस हिरासत में चार व्यक्तियों में से दो ओरेवा कंपनी के प्रबंधक हैं, जिसने सात महीने के रखरखाव के काम के बाद पुल को आगंतुकों के लिए खोल दिया और अन्य दो निर्माण कार्य ठेकेदार के लोग हैं.

वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं की जा सकती सार्वजनिक : मोरबी एसपी

पुल हादसे की जांच के सवाल पर मोरबी के पुलिस अधीक्षक राहुल त्रिपाठी ने कहा कि हम अपनी हिरासत में सभी चार आरोपियों से पूछताछ कर रहे हैं और हम पुल के नवीनीकरण में विभिन्न प्रकार की खामियों के दायित्व को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. हम गहन जांच कर रहे हैं और अगर किसी की भूमिका सामने आती है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि हमने अदालत में एक वैज्ञानिक रिपोर्ट सौंपी है, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसे सार्वजनिक किए जाने के बाद आगे की जांच प्रभावित हो सकती है.

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गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज

गुजरात पुलिस ने मोरबी पुल ढहने की घटना में आईपीसी की धारा 304 और 308 (गैर इरादतन हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. इससे पहले गुजरात सरकार ने पुल गिरने की घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था. मोरबी-बी डिवीजन के पुलिस निरीक्षक प्रकाशभाई देकावड़िया ने कहा कि पुल के रखरखाव और प्रबंधन एजेंसियों के खिलाफ भारतीय दंड की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), और 114 (अपराध होने पर उपस्थित होने वाले) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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