Nag Panchami 2025 : नागपंचमी पर नाग देवता को दूध पिलाने की परंपरा प्रचलित है, जिससे शिवालयों में भीड़ उमड़ती है. लोगों का विश्वास है कि इससे धन-संपत्ति में वृद्धि, सर्पदोष और सर्पदंश के भय से मुक्ति मिलती है. हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सांप स्तनपायी जीव नहीं होते, इसलिए वे दूध को पचा नहीं सकते. ऐसे में दूध पिलाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है. यह परंपरा भले ही आस्था से जुड़ी हो, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है. यह कहना सर्पमित्र रमेश कुमार का है.
सपेरे सांपों को महीनों भूखे रखते हैं
रमेश कुमार ने तथ्यों का उल्लेख बहुत ही सरलता से किया. उन्होंने कहा कि सपेरे जो सांप लेकर शिवालयों के बाहर जमे रहते हैं. वे उन सांपों को महीनों भूखे रखते हैं, विषदंत तोड़कर और विषग्रंथि निकालकर उनको शारीरिक रूप से इतना प्रताड़ित करते हैं कि ये सांप दूध पीने को मजबूर हो जाय. इसके बाद जैसे ही त्योहार खत्म होता है. कुछ दिनों में ही अधिकतर सांप मर जाते हैं. हम तो खुश होते है कि हमने सांप को दूध पिलाकर पुण्य कमा लिया. लेकिन जाने अनजाने हम जीवों के प्रति ऐसे जघन्य अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं.
प्रकृति और जीवों का संरक्षण हमारे धर्म के मूल में
सर्पमित्र ने कहा कि यकीन मानिए यदि आप सांपों की प्रताड़ना जैसे विषदंत तोड़ना, विषग्रंथि निकालकर सांप के मुंह को सिलना को देख लें तो आप सपेरों के ऐसे व्यवहार से घृणा करेंगे. धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो नागदेवता भगवान शिव के गले में विराजमान होते हैं और भगवान शिव को जल, दूध आदि से स्नान कराया जाता है. इस क्रम में नाग देवता का भी स्नान हो जाता है. उन्होंने कहा कि धीरे धीरे यह नागदेवता को दूध पिलाने का चलन हो गया. प्रकृति और जीवों का संरक्षण हमारे धर्म के मूल में है. अतः मैं लोगों से विनम्र आग्रह करता हूं कि ऐसे परंपरा को बढ़ावा न दे जिससे किसी जीव की जान चली जाए.
यह भी पढ़ें : Most Poisonous Snake : झारखंड में पाए जाने वाले 30 सांप में से 6 खतरनाक, इनके काटने से होती है मौत
हजारों सांपों की जान बचा चुके हैं रमेश कुमार
झारखंड की राजधानी रांची से सटे पिठोरिया के रहने वाले रमेश कुमार ऐसे सर्पमित्र हैं जो अब तक हजारों सांपों की जान बचा चुके हैं. उनका मानना है कि सांप एक खास जीव होते हैं और उन्हें समझने की जरूरत है. अक्सर बारिश के मौसम में सांप घरों में घुस आते हैं और लोग डरकर उन्हें मार देते हैं. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं. यदि जहरीले भी सांप को देखें तो उन्हें रेस्क्यू करके खुली जगह में छोड़ देना चाहिए. रमेश को बचपन से ही जीव-जंतुओं से लगाव रहा है. उनका सपना है कि आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा लोग सांपों को लेकर सही जानकारी रखें और किसी भी परिस्थिति में उन्हें न मारें. उनका यह प्रयास पर्यावरण और जीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ा योगदान है.
बारिश के मौसम में ज्यादा सांप आते हैं नजर
बारिश के मौसम में सांप ज्यादा दिखाई देते हैं, साथ ही सर्पदंश के मामले भी बहुत देखने को मिलते हैं. बारिश के कारण सभी जगहों पर पानी भर जाता है. चूंकि सांप जमीन के अंदर चूहों द्वारा बनाए बिल या प्राकृतिक सुरंगों में मिट्टी के अंदर ही रहना पसंद करते हैं, इसलिए पानी भरने वे बाहर निकलने को मजबूर हो जाते हैं. बारिश के मौसम में अधिकांश सांप का ब्रीडिंग सीजन होता है जिसके कारण बहुत संख्या में छोटे सांप भी दिखते हैं. इस मौसम में उनको भोजन की भी बहुत आवश्यकता होती है इन सब कारणों से सांपों का दिखना आम हो जाता है सूखे जगहों और भोजन की तलाश में अक्सर सांप घरों में घुस जाते हैं जिससे सर्पदंश के मामले ज्यादा मिलते हैं.
कौन-कौन से सांप ज्यादा दिखाई देते हैं
जहरीले सांपों में नाग,करैत, वाइपर से अधिकतर लोगों का सामना होता है, जिसमें रात में घरों में जितने भी बाइट केस मिलते हैं अधिकतर करैत के होते हैं. अभी झारखंड के अधिकतर हिस्सों में रसल वाइपर के बाइट में मेल मिल रहे हैं ये चौबीसों घंटे एक्टिव रहते हैं. खेतों में कम करते समय विशेष ध्यान देने की जरूरत है. खेतों में जितने भी सर्पदंश के मामले हैं अधिकतर वाइपर के ही हैं. बाकी सांप जैसे कि रैट स्नेक,पानी वाला सांप,वुल्फ स्नेक, कुकरी जैसे कई सांप है को विषहीन हैं जिनसे हमे कोई नुकसान नहीं है.