Omar Abdullah: राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि जम्मू और कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद के आगामी मानसून सत्र में विधेयक लाया जाए. राहुल गांधी ने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा है. इधर, राहुल गांधी के पत्र पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है. उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यह अच्छी बात है. उन्होंने मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को इसके लिए धन्यवाद भी दिया है.
उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा
राहुल गांधी और खरगे के बयान पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- “यह अच्छी बात है. मैं मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को इस मुद्दे को उठाने के लिए धन्यवाद देता हूं. हम ऐसी कोई मांग नहीं कर रहे हैं जिसका हमसे पहले वादा न किया गया हो. हमें कई बार कहा गया है कि हमें सही समय पर राज्य का दर्जा दिया जाएगा. अब, जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए.”
खरगे और राहुल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
बुधवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद के आगामी मानसून सत्र में विधेयक लाया जाए. उन्होंने यह मांग भी उठाई कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत शामिल करने के लिए भी विधेयक लाए. बता दें, संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा.
केंद्र ने अनुच्छेद 370 को बना दिया था निष्प्रभावी
इससे पहले केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद में विधेयक लाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बना दिया था. केंद्र सरकार ने प्रदेश को विभाजित करके दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बनाए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा “पिछले पांच वर्षों से, जम्मू-कश्मीर के लोग लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं. यह मांग वैध भी है और उनके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर आधारित है.” उनका कहना था कि अतीत में केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा दिए जाने के उदाहरण रहे हैं, लेकिन जम्मू -कश्मीर का मामला ऐसा है कि स्वतंत्र भारत में जिसकी कोई मिसाल नहीं है.