Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के सैन्य संघर्ष रोकने के लिए सीजफायर की घोषणा भले हो गयी, लेकिन भारत पाकिस्तान को हर मोर्चे पर घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है. भारत साफ कर चुका है कि ऑपरेशन सिंदूर को बंद नहीं सिर्फ स्थगित किया गया है. भारत सरकार आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को चोट देने की तैयारी कर रही है. पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक देश बताने के लिए सरकार की ओर से विभिन्न देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेज रही है. यह प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत और आतंकवाद पर पाकिस्तान के रुख की जानकारी देंगे.
सांसदों के नाम पर कोई समझौता नहीं
हालांकि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के नेताओं के चयन पर कांग्रेस ने सवाल उठाया. प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस की ओर से दिए गए चार नामों को सरकार ने इसमें शामिल नहीं किया है. इससे कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठा रही है. शनिवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करने के लिए विदेशी देशों में सरकार के प्रस्तावित प्रतिनिधिमंडलों में पार्टी की ओर से दिए गए चार सांसदों के नाम पर कोई समझौता नहीं होगा. पार्टी को यह तय करना है कि उसकी ओर से कौन प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनेगा. लेकिन सरकार ने अपने स्तर से कांग्रेस नेताओं का नाम तय कर बेईमानी करने की कोशिश की है.
सरकार सर्वसम्मति के नाम पर कर रही खेल
जयराम रमेश ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए सरकार की ओर से नाम मांगे गए थे. कांग्रेस को भरोसा था कि पार्टी जिन नामों को सूची सरकार को देगी, उसे प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया जायेगा. लेकिन सरकार की ओर से जारी सूची में कांग्रेस की ओर से दिए गए नाम को शामिल नहीं किया गया. सरकार ने कांग्रेस नेताओं का नाम अपनी मर्जी से जारी कर दिया. ऐसा लगता है कि सरकार सर्वसम्मति के नाम पर कांग्रेस के साथ धोखा कर रही है. भले ही सरकार की ओर से नाम तय किए गए है, लेकिन पार्टी अपनी ओर से दिए गए नाम बदलने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शामिल सभी लोग कांग्रेस के ही हैं.
लेकिन कांग्रेस में होने और कांग्रेस का होने में बहुत बड़ा अंतर है. कांग्रेस पार्टी ने आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार को पूर्ण समर्थन दिया, लेकिन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में पार्टी की ओर से दिए गए नाम की बजाय जब अन्य नामों की घोषणा की गयी तो पार्टी हैरान रह गयी. रमेश ने आरोप लगाया कि 22 अप्रैल से कांग्रेस लगातार प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग कर रही है. इस दौरान दो सर्वदलीय बैठक हुई, लेकिन प्रधानमंत्री शामिल नहीं हुए. विपक्ष के नेता ने इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हए विशेष सत्र बुलाने की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया. अब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के नाम को दरकिनार करने से साफ जाहिर होता है कि सरकार कांग्रेस के साथ खेल करने में जुटी है.