Petroleum: देश कच्चे तेल के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर है. हालांकि कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं. साथ ही देश में तेल तेल और गैस के खोज को लेकर तेज गति से काम किया जा रहा है. सरकार की कोशिश देश में मौजूद हाइड्रोकार्बन भंडार की खोज करना है ताकि देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके. इसके लिए वर्ष 2022 में लगभग दस लाख वर्ग किलोमीटर के पूर्व ‘नो-गो’ (निषिद्ध क्षेत्र) अपतटीय क्षेत्रों में खोज को मंजूरी दी गयी. इससे अंडमान-निकोबार अपतटीय बेसिन (थाले क्षेत्र) जैसे गहरे समुद्र और सीमांत क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खोज के रास्ते खुले और शोध की गति तेज हुई.
सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि वर्ष 2015 से भारत में इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों ने 172 हाइड्रोकार्बन क्षेत्र खोजने में सफलता हासिल की है. इसमें से 62 अपतटीय क्षेत्रों में हैं. बंगाल-अराकान तलछट प्रणाली के तहत अंडमान और निकोबार अपतटीय बेसिन के भूवैज्ञानिक महत्व को देखते हुए तेल और गैस की खोज को आगे बढ़ाने का काम किया गया. इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. दक्षिण अंडमान क्षेत्र में महत्वपूर्ण गैस खोज के बाद इस क्षेत्र की ओर विश्व का ध्यान गया है.
आने वाले समय में मिलेंगे परिणाम
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि तेल और गैस के भंडार का पता लगाने के लिए भूविज्ञान का अनुकूल होना जरूरी है. लेकिन सरकार खोज को लिए नीति और शोध को प्राथमिकता देने का काम किया है. संशोधित नीति के तहत भूकंपीय आंकड़े हासिल करने, स्ट्रेटीग्राफी (पृथ्वी की परतों का अध्ययन) और तेल और गैस की खोज के लिए गहराई में छेद करने के अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग की शुरुआत और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ाव को बढ़ावा दिया गया.
कई विदेशी कंपनियों ने इसमें भागीदारी करने पर हामी भरी. इसके अलावा राष्ट्रीय तेल कंपनियों ने चार अपतटीय स्ट्रेटीग्राफी कुएं (उपसतह और चट्टानों की परतें) खोदने की योजना बनायी है, जिनमें से एक अंडमान-निकोबार बेसिन में है. यह वैज्ञानिक कुएं भूवैज्ञानिक मॉडलों के परीक्षण, पेट्रोलियम प्रणालियों के अस्तित्व की पुष्टि और भविष्य में व्यावसायिक अन्वेषण के जोखिम कम करने में सहायता के लिए डिजाइन किए गए हैं. तेल और प्राकृतिक गैस निगम ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) ने अंडमान के अधिक गहराई वाले समुद्री क्षेत्र में महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है.
पहली बार ड्रिलिंग ऑपरेशन 5000 मीटर तक की गहराई तक करने का फैसला लिया गया. पूर्वी अंडमान बैक आर्क क्षेत्र (अंडमान सागर के पश्चिमी किनारे पर स्थित) में कार्बोनेट प्ले में ड्रिल किए गए ऐसे ही एक कुएं में उत्साहजनक भूवैज्ञानिक जानकारियां मिली हैं और उम्मीद है कि इसमें भारी मात्रा में गैस और तेल उपलब्ध होने की संभावना है.