PMJAY: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत जून 2025 तक कुल 16,912 जन औषधि केंद्र (जेएके) खोले जा चुके हैं, जिसके तहत 2,110 दवाइयां , 315 शल्य चिकित्सा, चिकित्सा के उपयोग में आने वाली वस्तुएं और उपकरण शामिल हैं. प्रमुख चिकित्सीय समूह के अंतर्गत हृदय संबंधी, कैंसर-रोधी, मधुमेह-रोधी, संक्रमण-रोधी, एलर्जी-रोधी, अर्थराइटिस के लिए सभी जेनेरिक दवाइयां योजना के तहत उपलब्ध है.
जेएके में सुचारू आपूर्ति और उत्पाद उपलब्धता के लिए, एक संपूर्ण आईटी-सक्षम आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें एक केंद्रीय गोदाम, चार क्षेत्रीय गोदाम और देश भर में नियुक्त 39 वितरक शामिल हैं. 400 से ज्यादा दवाईयां जिसकी मांग ज्यादा है उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनकी नियमित निगरानी की जाती है. इसके अलावा, 200 दवाओं के लिए न्यूनतम भंडारण अधिदेश लागू किया गया है, जिसमें 100 सबसे अधिक बिकने वाली दवाइयां और बाजार में 100 तेजी से बिकने वाली दवाइयां शामिल हैं.
पिछले 11 सालों में 38 हजार करोड़ रुपये की बचत
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में कहा कि सरकार ने सभी को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए यह योजना शुरू की है. इस योजना के परिणामस्वरूप, पिछले 11 वर्षों में, ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना में नागरिकों को लगभग 38,000 करोड़ की अनुमानित बचत हुई है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमानों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल स्वास्थ्य खर्च पर 62 फीसदी खर्च किया जाता था, जो घटकर 2021-22 में 39.4 फीसदी हो गया. इससे देश के परिवारों द्वारा खर्च में कमी आयी परिणाम स्वरूप परिवारों के जेब में पैसे की बचत हुई. इस खर्च को और कम करने और आम परिवारों की इस मद में खर्च और कम हो इसके लिए सरकार ने मार्च 2027 तक 25,000 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है.
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए, सरकार ने फ्रैंचाइज़ी जैसा मॉडल अपनाया है, जिसमें विभिन्न ब्लॉकों और तहसीलों सहित देश भर से भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो की वेबसाइट के माध्यम से व्यक्तिगत उद्यमियों, गैर-सरकारी संगठनों, सोसायटियों, ट्रस्टों, फर्मों, निजी कंपनियों आदि से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं.