Pollution: दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. इससे निपटने के तमाम दावों के बावजूद हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. प्रदूषण से निपटने के लिए पूर्व के आम आदमी पार्टी के सरकार के दावों की पोल कैग रिपोर्ट से खुली है. मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रदूषण को लेकर लंबित कैग रिपोर्ट सदन में पेश की. ‘प्रिवेंशन ऑफ एयर पॉल्यूशन फ्रॉम व्हीकल’ नाम से जारी कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन की सटीकता पर संदेह, प्रदूषण के स्रोत की सही जानकारी नहीं होना और सार्वजनिक परिवहन की अपर्याप्त व्यवस्था को कारण बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तय मानक के अनुसार नहीं है. ऐसे में इन स्टेशनों से प्राप्त होने वाले डेटा को पूरी तरह सही नहीं माना जा सकता है. दिल्ली सरकार के पाय वायु प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं का पता लगाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही इस बाबत कभी कोई अध्ययन किया गया.
कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के लिए डीटीसी की 9000 बसों की जरूरत थी, लेकिन 6750 बसें ही उपलब्ध रही, जिसमें कई बसों का संचालन नहीं किया गया. दिल्ली में वर्ष 2011 के बाद लगभग 17 फीसदी आबादी बढ़ी है. लेकिन दिल्ली के अंतिम छोर पर कनेक्टिविटी के लिए चलाई गई ग्रामीण बस सेवा की संख्या में कोई इजाफा नहीं किया गया. ग्रामीण सेवा की कई बसें 10 साल पुरानी हो चुकी है और उनकी हालत जर्जर है. सार्वजनिक बसों की कमी के बावजूद सरकार ने पिछले वैकल्पिक परिवहन के साधन जैसे मोनोरेल पर काम नहीं किया. जबकि इसके लिए सात साल से बजट में प्रावधान किए गए.
प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने उठाया कदम
दिल्ली में एक अप्रैल से 15 साल से पुरानी पेट्रोल और डीजल गाड़ियों को ईंधन नहीं मिलेगा. इस फैसले को लागू करने के लिए सभी पेट्रोल पंपों को आदेश जारी कर दिया है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की हवा को साफ करना हमारी प्राथमिकता है और कैग रिपोर्ट से इसे दूर करने में मदद मिलेगी. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि पॉल्यूशन चेकिंग सेंटर का सरकार और किसी तीसरी पार्टी से क्वालिटी ऑडिट नहीं कराया गया. वाहन से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक रिमोट सेंसिंग उपकरण का उपयोग नहीं किया गया, जबकि वर्ष 2009 से इसे अपनाने पर विचार किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट कई बार इसे अपनाने को कह चुका है. रिपोर्ट में वाहनों के फिटनेस टेस्ट नहीं कराने की बढ़ती संख्या पर भी चिंता जाहिर की गयी है. गौरतलब है कि दिल्ली की भाजपा सरकार ने 14 लंबित कैग रिपोर्ट को पेश करने का वादा किया है. तीन कैग रिपोर्ट पहले ही पेश की जा चुकी है और बजट सत्र में चौथी रिपोर्ट पेश की गयी.