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मेगा फाइटर डील पर नौसेना उपप्रमुख ने कहा, राफेल या सुपर हॉर्नेट केवल ‘अंतरिम व्यवस्था’

नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल एनएस घोरमडे ने कहा कि स्वदेशी में निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस ‘विक्रांत' के सेवा में शामिल होने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. आईएनएस ‘विक्रांत' को तीन सितंबर को कोच्चि में एक कार्यक्रम में नौसेना में शामिल किया जाएगा.

नई दिल्ली : अमेरिका के विरोध के बावजूद फ्रांस के साथ किए गए मेगा फाइटर डील पर नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल एनएस घोरमडे ने गुरुवार को कहा कि स्वदेश में बनने वाले दो इंजन वाले लड़ाकू विमान के तैयार होने तक फ्रांस के राफेल या फिर सुपर हॉर्नेट केवल अंतरिम व्यवस्था हैं. नौसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि बल केवल 26 नए लड़ाकू विमान खरीदने जा रहा है और जल्द ही इस पर कोई फैसला जाएगा कि वह बोइंग के एफ/ए -18 सुपर हॉर्नेट या द सॉल्ट एविएशन के राफेल एम की खरीद करेगा या नहीं. बता दें कि नौसेना 3 सितंबर को अपने पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत को आईएनएस ‘विक्रांत’ को सेवा में शामिल करेगा और इस साल के नवंबर तक केवल लड़ाकू परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा.

तीन सितंबर को नौसेना में शामिल होगा आइएनएस विक्रांत

इस बीच, नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल एनएस घोरमडे ने कहा कि स्वदेशी में निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस ‘विक्रांत’ के सेवा में शामिल होने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. घोरमडे ने कहा कि आईएनएस ‘विक्रांत’ को तीन सितंबर को कोच्चि में एक कार्यक्रम में नौसेना में शामिल किया जाएगा और इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे. उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत को सेवा में शामिल करना अविस्मरणीय दिन होगा, क्योंकि यह पोत देश की समग्र समुद्री क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा. यह पूछे जाने पर कि क्या नौसेना दूसरे विमानवाहक पोत के निर्माण को लेकर काम कर रही है, तो उन्होंने कहा कि इस पर विचार-विमर्श जारी है.

समुद्री क्षमता में वृद्धि करेगा आईएनएस विक्रांत

वाइस एडमिरल एनएस घोरमडे ने कहा कि विमानवाहक पोत को सेवा में शामिल करना अविस्मरणीय दिन होगा, क्योंकि यह पोत देश की समग्र समुद्री क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा. यह पूछे जाने पर कि क्या नौसेना दूसरे विमानवाहक पोत के निर्माण को लेकर काम कर रही है, तो उन्होंने कहा कि इस पर विचार-विमर्श जारी है. वाइस एडमिरल घोरमडे ने कहा कि आईएनएस ‘विक्रांत’ को नौसेना में शामिल किया जाना ऐतिहासिक मौका होगा और यह ‘राष्ट्रीय एकता’ का प्रतीक भी होगा, क्योंकि इसके कल-पुरज़े कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए हैं. करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस विमानवाहक पोत ने पिछले महीने समुद्री परीक्षणों के चौथे और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया था.

भारत के पास लड़ाकू विमान पर्याप्त नहीं

‘विक्रांत’ के निर्माण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास विमानवाहक पोत को स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता है. भारत जल्द ही दो विमान वाहक पोत (आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत) का संचालन शुरू करेगा. हालांकि, भारत के पास लड़ाकू विमान पर्याप्त नहीं हैं. फिलहाल, भारत रूस में निर्मित 42 मिग 29K का उपयोग करता है, जो तकनीकी तौर पर सेवा क्षमता के अनुरूप नहीं है. बताया जा रहा है कि इन विमानों का उपलब्धता अनुपात 45 फीसदी से कम है.

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राफेल और हॉर्नेट का भी किया गया परीक्षण

वाइस एडमिरल घोरमडे ने आईएनएस विक्रांत को सेवा में शामिल किए जाने से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि स्वदेशी विमानवाहक पोत की भी एक समयसीमा है. इसकी पहली उड़ान में लगभग 5-7 साल लगेंगे और हमें एक अंतरिम विमान की जरूरत है. इसलिए परीक्षण किया गया है और एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय विमानवाहक पोत से उड़ान भरने की क्षमता दिखाने के लिए हॉर्नेट और राफेल दोनों द्वारा किए गए परीक्षणों का भी जिक्र किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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