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Rajya Sabha: वेल में सीआईएसएफ जवान की तैनाती को उपसभापति ने किया खारिज

मंगलवार को एक बार फिर राज्यसभा में सीआईएसएफ जवान की तैनाती के मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और उपसभापति हरिवंश के बीच तीखी बहस देखने को मिली. उपसभापति ने सदन में सीआईएसएफ की तैनाती को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष सदन को चलाने में सहयोग करें, क्योंकि संसद ही देश के सामने उदाहरण पेश करने का सबसे बड़ा मंच है.

Rajya Sabha: राज्यसभा में विपक्ष बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर चर्चा कराने की मांग कर रहा है. लोकसभा में भी विपक्ष की मांग के कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल पा रही है. इस बीच राज्यसभा के वेल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल(सीआईएसएफ) के जवान की तैनाती पर भी विपक्ष हमलावर है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे इस बाबत उपसभापति को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. विपक्ष केंद्रीय बल की तैनाती को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहा है. मंगलवार को एक बार फिर इस मुद्दे पर संसद में जोरदार हंगामा हुआ. इस मामले पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और उपसभापति के बीच तीखी बहस देखने को मिली. खरगे ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों के विरोध को दबाने के लिए राज्यसभा में सीआईएसएफ को तैनात किया गया. 

खरगे के आरोप पर उपसभापति ने कहा कि विपक्ष के नेता के साथ बैठने का मौका मिलता है और उनसे बहुत कुछ सीखा है. लेकिन खरगे द्वारा लिखा गया पत्र गोपनीयता की श्रेणी में आता है. लेकिन पत्र को पहले ही मीडिया को जारी कर दिया गया. यह सदस्यों के विवेक पर निर्भर है कि पत्र को सार्वजनिक करना कितना उचित है. खरगे के यह कहने के बाद कि ‘सदन में विपक्षी सांसदों को ऐसे रोका गया, जैसे वे आतंकवादी हैं. सदन को उपसभापति चला रहे हैं या गृह मंत्री. खरगे के इस बयान का सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से जोरदार विरोध किया गया. सत्ता पक्ष के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को विपक्ष में रहने के लिए आदत डालनी होगी. क्योंकि कांग्रेस के व्यवहार से ऐसा लगता है कि उन्हें कई साल तक विपक्ष में ही रहना होगा. इस बीच दोनों ओर से जोरदार हंगामा होता रहा और सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. 


सदन में लगातार अवरोध लोकतंत्र के लिए चिंताजनक


उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदन में लगातार व्यवधान पैदा करना चिंता की बात है. कई सदस्य नियम 235 और 238 का उल्लंघन कर रहे हैं. जब 28 जुलाई को वाईएसआरसीपी के सांसद कुछ बोल रहे थे तो कुछ सदस्यों ने व्यवधान पैदा करने का बार-बार प्रयास किया. क्या ऐसा करना सदस्य के विशेषाधिकार या बोलने की अभिव्यक्ति का हनन नही था. इसी तरह 31 जुलाई को एक माननीय मंत्री स्वत: संज्ञान लेते हुए एक विषय पर बयान दे रहे थे और विपक्षी सांसदों की ओर से उनके सामने जाकर लगातार नारेबाजी की गयी. सदन में ऐसी कई घटनाएं हुई है. सभी सदस्यों को इस पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है. 

विपक्ष सदन को चलाने में सहयोग करें


हरिवंश ने  कहा कि सदन के वेल में सीआईएसएफ के जवान कभी तैनात नहीं किए गए. संसद की सुरक्षा सेवा के कर्मचारी को तैनात किया गया था. वर्ष 1930 से विट्ठल भाई पटेल द्वारा शुरू की गयी परंपरा का हिस्सा है. ये सुरक्षाकर्मी विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं और सदन की गरिमा बनाने का काम करते हैं. इस दौरान द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि जब भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था, तब भी विट्ठल भाई पटेल ने सुरक्षाबलों को सदन में घुसने नहीं दिया था. इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मार्शल ही सदन में थे, कोई सीआईएसएफ का जवान नहीं था और नेता विपक्ष गलत जानकारी देकर देश को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. उपसभापति ने विपक्ष के नेता से कहा कि सदस्य बहस में हिस्सा लें और सदन को बिना बाधा के चलने में सहयोग करें. क्योंकि संसद ही देश के सामने उदाहरण पेश करने का सबसे बड़ा मंच है. 

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