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Rajya Sabha : ‘बांग्लादेश पर आंखें खोलो’, मल्लिकार्जुन खरगे ने इंदिरा गांधी की याद दिलाते हुए मोदी सरकार को घेरा

Rajya Sabha : राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान पर चर्चा के दौरान बांग्लादेश के हालात पर बात की. उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर हमला किया.

Rajya Sabha : राज्यसभा में विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की. मल्लिकार्जुन खरगे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज कसते हुए कहा कि हम म्यूनिसिपैलिटी स्कूल में पढ़े हैं. उन्होंने जेएनयू से पढ़ाई की है. उनकी अंग्रेजी अच्छी हो सकती है, लेकिन करतूत अच्छी नहीं है.

मल्लिकार्जुन खरगे ने इंदिरा गांधी की सरकार के समय बांग्लादेश की आजादी का जिक्र सदन में किया. उन्होंने कहा,”एक लाख लोगों को बंदी बनाना आसान काम नहीं, लेकिन आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने बता दिया कि हमारे करीब आए तो खैर नहीं.” अहमद फराज की शायरी ‘तुम खंजर क्यों लहराते हो…’ से खरगे ने मोदी सरकार पर तंज कसा.

बीजेपी को बांग्लादेश पर आंखें खोलनी चाहिए: मल्लिकार्जुन खरगे

राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ”हमारी बहादुर नेता इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में विभाजित किया. बांग्लादेश को आजाद करवाया. इस देश का गौरव दुनिया भर में फैला. वहां (बांग्लादेश में) जो अराजकता चल रही है, कम से कम इन (बीजेपी) लोगों को अपनी आंखें खोलनी चाहिए. वहां के अल्पसंख्यकों को बचाने की कोशिश करनी चाहिए.”

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26 जनवरी 2002 को पहली बार आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया: मल्लिकार्जुन खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा,” 1949 में आरएसएस नेताओं ने भारत के संविधान का विरोध किया था क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था. न तो उन्होंने संविधान को स्वीकार किया और न ही तिरंगे को. 26 जनवरी 2002 को पहली बार मजबूरी में आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया. क्योंकि इसके लिए कोर्ट का आदेश था.”

ये लोग आजादी के लिए नहीं लड़े: मल्लिकार्जुन खरगे

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अमेरिका, यूके, फ्रांस डेमोक्रेसी की बहुत बातें करते थे लेकिन महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था. एक ही देश ऐसा है जहां संविधान लागू होने के दिन से ही सबको एडल्ट फ्रेंचाइज दे दिया गया. क्या ये नेहरू, आंबेडकर या संविधान सभा की देन नहीं है? संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने 51-52 चुनावों के दौरान अडल्ट फ्रैंचाइज के खिलाफ लिखा था. उन्होंने कहा कि देश के लिए जो लोग लड़े नहीं, उनको आजादी और संविधान के महत्व के बारे में क्या पता होगा.

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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