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किसानों को अधिक मूल्य दिलाने के प्रयासों को झटका है कृषि कानूनों का रद्द होना: नीति आयोग

कृषि सुधार प्रक्रिया को बहाल करने के लिए राज्यों के साथ नये सिरे से विचार-विमर्श शुरू किया जाना चाहिए. नीति आयोग में कृषि नीतियों को देखने वाले रमेश चंद ने कहा, ‘कृषि क्षेत्र के लिए सुधार महत्वपूर्ण हैं. मुझे लगता है कि राज्यों के साथ नये सिरे से बातचीत की जानी चाहिए.’

नयी दिल्ली: कृषि क्षेत्र में सुधारों को महत्वपूर्ण बताते हुए नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने रविवार को कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करना किसानों को अधिक मूल्य दिलाने के प्रयासों के लिए एक झटका है. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून (Farm Laws) किसानों की आय-2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार हो सकते थे.

कृषि सुधारों को प्रभाव में लाने का अनुरोध कर रहे लोग

श्री चंद ने कहा कि कुछ लोगों ने नीति आयोग से सुधारों को प्रभाव में लाने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि कृषि सुधार प्रक्रिया को बहाल करने के लिए राज्यों के साथ नये सिरे से विचार-विमर्श शुरू किया जाना चाहिए. नीति आयोग में कृषि नीतियों को देखने वाले रमेश चंद ने कहा, ‘कृषि क्षेत्र के लिए सुधार महत्वपूर्ण हैं. कुछ किसान इनका (तीन कृषि कानून) विरोध कर रहे हैं. मुझे लगता है कि राज्यों के साथ नये सिरे से बातचीत की जानी चाहिए.’

कैसे हो कृषि सुधार

उन्होंने कहा, ‘लोग हमारे पास आ रहे हैं और कह रहे हैं कि सुधारों की आवश्यकता है. लेकिन यह किस रूप, किस आकार में होना चाहिए, इस बारे में हमें कुछ समय इंतजार करना चाहिए.’ श्री चंद से पूछा गया था कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए ठप पड़े सुधारों को क्या चार राज्यों में भाजपा को मिली जीत से कुछ गति मिलेगी.

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किसानों को बेहतर मूल्य के लिए सुधार जरूरी

रमेश चंद से सवाल किया गया कि तीन कृषि कानूनों को लागू किये बगैर क्या किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करना संभव है, इस पर उन्होंने कहा किसानों को बेहतर मूल्य मिले, इसके लिए सुधार आवश्यक हैं और सुधार यदि नहीं हो रहे हैं, तो निश्चित ही यह इन प्रयासों के लिए झटका है.

तीन कृषि कानूनों का हुआ था जोरदार विरोध

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था, जिसके बाद एक दिसंबर, 2021 को इन कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए सरकार संसद में एक विधेयक लेकर आयी थी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि करीब तीन प्रतिशत रहेगी.

दाल, खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने का प्रयास

उन्होंने कहा कि यदि मानसून और अन्य चीजें अनुकूल रहती हैं, तो चालू वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि में और सुधार होगा. मुद्रास्फीति के बारे में एक सवाल के जवाब में चंद ने कहा कि यह सरकार के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि किसी चीज की कमी की वजह से महंगाई बढ़ रही है, तो सरकार विभिन्न उपाय करती है. हम दालों और खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने का प्रयास करते हैं.

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सब्जी की कीमतों में उछाल सीजनल

उन्होंने कहा, ‘जहां तक सब्जियों की कीमतों में उछाल का सवाल है, तो इसकी वजह ‘सीजनल’ है. इसकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. सब्जियों के आयात की भी संभावना नहीं होती.’ फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत के आठ माह के उच्चस्तर पर पहुंच गयी है. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से अधिक है.

Posted By: Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
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