Research: किसी भी देश की तरक्की में रिसर्च का अहम योगदान होता है. अमेरिका रिसर्च के कारण ही दुनिया का सुपर पावर बना हुआ है. रिसर्च के क्षेत्र में हाल के वर्षों में भारत ने अच्छी तरक्की की है. पिछले एक दशक में देश में रिसर्च पर होने वाला खर्च लगभग दोगुना हो गया है. वर्ष 2013-14 में देश रिसर्च पर 60196 करोड़ रुपये खर्च किया था, जो अब बढ़कर 127381 करोड़ रुपये हो गया है. यह देश की अर्थव्यवस्था का भविष्य तय कर रहा है और देश स्वदेशी तकनीक का भी विकास कर रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्र में भी देश में कई तकनीक पर काम हो रहा है.
दिशा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा, सरकार डीप-टेक तकनीक के मामले में रिसर्च को बढ़ावा दे रही है और वैश्विक स्तर पर भारत को स्थापित करने की दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी आधारित इनोवेशन सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए शिक्षाविद, उद्योग और स्टार्टअप का सहयोग लिया जा रहा है. सरकार रिसर्च पर सिर्फ खर्च नहीं कर रही है, बल्कि कोशिश है कि नयी तकनीक लैब से उद्योग जगत के पास पहुंचे और देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य हासिल हो सके. देश में इनोवेशन को बढ़ावा देने, इनोवेशन को जमीनी स्तर पर उतारने और इसके व्यापक उपयोग के लिए दिशा योजना शुरू की गयी है.
इनोवेशन में युवाओं को निभानी होगी सक्रिय भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में रिसर्च का इकोसिस्टम तैयार करने के लिए ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ शुरू किया गया है. यह साइंस, सोशल साइंस और अन्य क्षेत्र में समग्र रिसर्च इकोसिस्टम बनाने के मकसद से बनाया गया है. इसका मकसद वैज्ञानिकों के लिए व्यापक मंच मुहैया कराना है ताकि वे हर क्षेत्र के रिसर्चर के साथ मिलकर काम कर सके. रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सामरिक क्षेत्र जैसे स्पेस और न्यूक्लियर एनर्जी में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने का काम किया है. सरकार की कोशिश इन क्षेत्रों में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देना है. निजी क्षेत्र की भागीदारी के बाद स्पेस क्षेत्र में रिसर्च काफी बढ़ा है और कई स्टार्टअप काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का व्यापक असर होने वाला है. इसके प्रयोग से देश के रिमोट इलाके में भी लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मुहैया करायी जा सकेगी. हालांकि एआई और पेशेवर अनुभव के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है. वर्ष 2047 में भारत के आजादी के 100 साल पूरे होने वाले है. ऐसे में विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में युवाओं की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण होगी और युवा ही देश के तकनीकी भविष्य की रूपरेखा तय करेंगे.
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