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Rural Development: विकसित भारत के लिए विकसित गांव जरूरी

विकसित भारत' के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे पहले 'विकसित गांव' बनाना जरूरी है. विकसित गांव के बिना विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. हालांकि सरकार विकसित गांव का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है, जिससे प्रधानमंत्री द्वारा तय किये गये लक्ष्य को पूरा किया जा सके.

Rural Development: विकसित गांव की परिभाषा को यदि समझना चाहे, तो एक ‘विकसित गांव’ वही होगा जहां हर परिवार के पास बुनियादी सुविधाओं वाला एक पक्का घर हो, वह गुणवत्तापूर्ण सड़कों से जुड़ा हो, हर ग्रामीण युवा के पास रोजगार के अवसर हों और हर महिला सशक्त और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो. इस दिशा में सरकार कदम बढ़ा रही है, जिससे गांव में वह सब सुविधाएं मिले, जो शहरों में मिलते हैं. सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के लिए दर्जनों स्कीम लागू किये हैं और उसका लाभ भी मिलता दिख रहा है.

लेकिन विकसित गांव के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है. हालांकि मंत्रालय के मुताबिक इस लक्ष्य को हासिल करना कठिन नहीं है. ना ही यह दूर का सपना है,. बल्कि इसके लिए हम सभी को नयी ऊर्जा, नवीन सोच और गहरी प्रतिबद्धता के साथ काम करना होगा. हर नागरिक को इस लक्ष्य को हासिल करने में अपनी भूमिका निभानी होगी.

सोमवार को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के विभिन्न योजनाओं की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आयी कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में ग्रामीण विकास मंत्रालय की अहम भूमिका है.क्योंकि यह मंत्रालय सीधे गांव से जुड़ा हुआ है. गांव के आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने में मंत्रालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री पी चंद्रशेखर ने ग्रामीण विकास मंत्रालय की कार्य निष्पादन समीक्षा समिति की बैठक में  2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘विकसित गांव’ के निर्माण का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि हम केवल योजनाओं को लागू नहीं कर रहे हैं बल्कि भारत की विकास गाथा का अगला अध्याय लिख रहे हैं.

विभिन्न योजनाओं की हुई समीक्षा

बैठक में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को ग्रामीण बेरोजगारी और विशेष रूप से कृषि के कमज़ोर मौसम में होने वाले संकटपूर्ण पलायन के विरुद्ध एक हथियार के रूप में कार्य करना माना गया. इसमें 90,000 से 1,00,000 करोड़ रुपये के वार्षिक निवेश के परिणामस्वरूप टिकाऊ और उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है. प्रतिवर्ष 250 करोड़ से अधिक मानव-दिवस सृजित हुए हैं, 36 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड जारी किए गए हैं और 15 करोड़ से अधिक श्रमिक इसके लाभार्थी हुए हैं. वहीं  प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले ग्रामीण परिवारों के लिए 3.22 करोड़ से ज़्यादा पक्के घर बनाए जा चुके हैं और परिवार वृद्धि तथा ग्रामीण जनसंख्या विस्तार के कारण बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 2029 तक 2 करोड़ अतिरिक्त घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत अब तक 7.56 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है. हालांकि राज्यस्तरीय सड़क रखरखाव निधि की स्थापना, समुदाय आधारित निगरानी प्रणालियों के कार्यान्वयन और स्थिरता के लिए अभिनव वित्तपोषण मॉडल विकसित करने का सुझाव भी आया साथ ही लखपति दीदी को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

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