Space: भारत का स्पेस क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है. केंद्र सरकार ने स्पेस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कंपनियों को भागीदार बनाने के लिए नीति शुरू की. सरकार के प्रयास के कारण स्पेस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी लगातार बढ़ रही है और इस क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 300 से अधिक हो गयी है. देश के स्टार्टअप आईएन-एसपीएसीई इन-स्पेस ने दो सफल उप-कक्षीय उड़ानों में सहायता प्रदान की. इसके अलावा 6 गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए 14 उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित करने का काम किया.
आईएन-एसपीएसीई को विभिन्न गतिविधियों के लिए 380 से अधिक गैर-सरकारी संस्थाओं से कुल 658 आवेदन मिले. आईएन-एसपीएसीई 31 मार्च 2025 तक अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों के बाद 77 प्राधिकरण जारी किए हैं, 79 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, 31 डेटा प्रसारकों को 59 पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किए हैं, 91 संयुक्त परियोजना क्रियान्वयन योजना पर पर हस्ताक्षर किए गए.
इसमें से 79 तकनीकी हस्तांतरण समझौते शामिल हैं. खास बात है कि सैटेलाइट डेटा का उपयोग प्रमुख फसलों के उत्पादन के कई पूर्वानुमान तैयार करके खाद्य सुरक्षा को सक्षम करने, स्टॉक और मूल्य प्रबंधन और निर्यात, आयात नीति निर्णयों पर फैसला लेने के लिए किया गया.
ग्रामीण विकास में निभा रहा है अहम योगदान
स्पेस क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ने के कारण कृषि और ग्रामीण विकास को नयी गति मिली है. ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) के तहत कृषक समुदाय की आय बढ़ाने के लिए फसल और स्थान के आधार पर कृषि संबंधी सलाह देने के लिए सैटेलाइट डेटा का उपयोग किया जा रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत खरीफ चावल की परती भूमि के मैपिंग से से 6 पूर्वी राज्यों (ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल) में फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है. अंतरिक्ष तकनीक से मिले इनपुट का उपयोग करके चावल और गेहूं के लिए इसरो द्वारा विकसित अर्ध-भौतिक उपज मॉडल को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत चुना गया है.
गुरुवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इसरो द्वारा विकसित उपज मॉडल से 9 राज्यों में किसानों के दावों के त्वरित और पारदर्शी निपटान प्रक्रिया बेहतर होगी. साथ ही डेटा का उपयोग बाढ़ से होने वाले नुकसान, आपदा निगरानी, क्षति आकलन, बाढ़, चक्रवात, भूस्खलन, भूकंप से होने वाले पूर्व चेतावनी प्रणालियों के विकास में किया जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) गगनयान और अन्य अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है.