Supreme Court: क्या राष्ट्रपति-राज्यपाल राज्य विधेयकों पर तय समय में फैसला देने के लिए बाध्य हो सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ समीक्षा करने के लिए राजी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 के तहत केंद्र और सभी राज्यों की सरकार को नोटिस जारी किया है.
29 जुलाई को होगी अगली बैठक
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में हुई संविधान की बैठक ने अगले मंगलवार तक सुनवाई को स्थगित कर दी गई है. इस मामले में अगली बैठक 29 जुलाई को होगी. चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि इस मामले पर न्यायालय में अगस्त महीने के मध्य में बहस हो सकती है.
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डेडलाइन समेत राष्ट्रपति ने 14 सवालों के मांगे थे जवाब
दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143 का इस्तेमाल करते हुए विधेयक की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति-राज्यपाल के लिए कोई समय निर्धारित होनी चाहिए सहित 14 संवैधानिक सवाल उठाए थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी गई थी. इसी मामले पर पांच जजों की संविधान पीठ बनाई गई थी, जिसमें चीफ जस्टिस बी आर गवई समेत जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मांगा गया जवाब
राष्ट्रपति ने इस मामले में राय की तब मांग की, जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए 8 अप्रैल को एक फैसला सुनाया था. इस दौरान SC की तरफ से कहा गया था कि राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए विचाराधीन विधेयक को 3 महीने के भीतर मंजूरी दे देनी होगी.