Uttarakhand Avalanche: माना (चमोली) हिमस्खलन घटना के बारे में पीआरओ (रक्षा) देहरादून लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया, सेना ने सर्च ऑपरेशन के दौरान बर्फ में दो और शव बरामद किए हैं. 54 में से 53 श्रमिकों को अब तक बचा लिया गया है. एक व्यक्ति अभी भी लापता है, और तलाशी और बचाव अभियान जारी है.
जीवित बचे लोगों ने सुनाई खौफनाक कहानी
हिमस्खलन में जीवित बचे लोगों ने खौफनाक कहानी सुनाई. जोशीमठ आर्मी अस्पताल में भर्ती हिमस्खलन स्थल से बचाए गए लोगों में से एक विजय पांडे ने कहा, “हम कंटेनर में थे. जब हिमस्खलन हुआ तो यह कंटेनर को बहा ले गया. हमने खुद को बर्फ में पाया. हममें से 9 लोग कंटेनर में थे, और जिनमें से चार यहां भर्ती हैं.” एक अन्य जीवित बचे व्यक्ति ने कहा, “मैंने अपने पूरे जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा था. किसी तरह, हममें से कुछ लोग बीआरओ कैंप तक पहुंचने में कामयाब रहे.” एक अन्य ने हिमस्खलन की तीव्रता को याद करते हुए कहा, “यह इतना अचानक हुआ कि हमें कुछ भी पता नहीं चला. हमारे सभी कंटेनर नष्ट हो गए क्योंकि वह खतरनाक तूफान था. किसी तरह, हम सेना के शिविर की ओर भागने में कामयाब रहे.
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3200 मीटर की उंचाई पर बीआरओ शिविर में हिमस्खलन के बाद फंस गए थे 54 मजदूर
करीब 3200 मीटर की उंचाई पर भारत-चीन सीमा पर स्थित आखिरी गांव माना में शुक्रवार को हिमस्खलन होने से बीआरओ शिविर में आठ कंटेनरों में रह रहे सीमा सड़क संगठन के 54 मजूदर बर्फ में फंस गए थे. मजदूरों की संख्या पहले 55 बतायी जा रही थी लेकिन एक मजदूर के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित अपने घर सुरक्षित पहुंच जाने की सूचना मिलने के बाद यह संख्या 54 रह गयी.