23.8 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

गर्भवती महिला, प्रसूता, बच्चे और कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों को नहीं दी जायेगी वैक्सीन, …जानें क्यों?

Corona vaccine, Covishield, Covaxin : नयी दिल्ली : देश भर में लोगों को 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन दी जायेगी. इसको लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पुणे हवाई अड्डा पहुंचाया गया. यहां से देश के 13 शहरों में आठ हवाई जहाजों से 56.5 लाख वैक्सीन पहुंचायी जा रही है. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है कि किन-किन लोगों को वैक्सीन नहीं दी जानी है.

नयी दिल्ली : देश भर में लोगों को 16 जनवरी से कोरोना वैक्सीन दी जायेगी. इसको लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से पुणे हवाई अड्डा पहुंचाया गया. यहां से देश के 13 शहरों में आठ हवाई जहाजों से 56.5 लाख वैक्सीन पहुंचायी जा रही है. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है कि किन-किन लोगों को वैक्सीन नहीं दी जानी है.

गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं और बच्चों को नहीं दी जायेगी वैक्सीन

वर्तमान में ऐसे समूह भी हैं, जिन लोगों पर वैक्सीन की टेस्टिंग नहीं की जा सकी है. इनमें गर्भवती महिलाएं और बच्चें शामिल हैं. हालांकि, हाल ही में भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुआ है. इसलिए इन लोगों को अभी वैक्सीन नहीं दी जायेगी. इसके अलावा शिशु को स्तनपान करानेवाली प्रसूताओं को भी अभी वैक्सीन नहीं दी जायेगी. ऐसे में माताओं के जरिये बच्चों में असर हो सकता है. अगले चरण में जैसे-जैसे रिसर्च होंगे, टेस्टिंग पूरी होती जायेगी, उसके परिणाम सामने आयेंगे, फिर वैक्सीन देने पर फैसला किया जायेगा.

कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों को नहीं दी जायेगी वैक्सीन

सरकार की योजना के मुताबिक संक्रमित हो चुके लोगों को पहले चरण में वैक्सीन नहीं दी जायेगी. देखा गया है कि कोरोना संक्रमित लोगों के स्वस्थ्य होने के बाद उनके शरीर में विकसित हुए एंटीबॉडी छह-सात महीने तक रहते हैं. इसलिए अभी उन्हें वैक्सीन नहीं दी जायीगी. हालांकि, कुछ दिन बाद पता चलेगा कि उन्हें वैक्सीन की जरूरत है या नहीं.

क्या एक तरीके से बनी है सभी वैक्सीन?

दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा है कि एक साल के भीतर कोई वैक्सीन तैयार कर जनता को उपलब्ध करायी जा रही है. दर्जनों वैक्सीन अब भी ऐक्टिव स्टेज पर हैं. वैक्सीन मुख्य रूप से दो प्रकार से तेयार की जाती हैं. पहल है डीएनए पद्धति और दूसरा है आरएनए पद्धति. डीएनए पद्धति में वैक्सीन आनेवाले वायरस को कमजोर कर देती है और व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता. वहीं, आरएनए पद्धति से बनी वैक्सीन शरीर में देने पर कोरोना वायरस जैसे स्पाइक प्रोटीन वाले कण पैदा होने लगते हैं. इससे शरीर में वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है. जब असली कोरोना वायरस का हमला हो या संक्रमित के संपर्क में आये, तो वे हमला नहीं कर पाएं.

आरएनए पद्धति से बन चुकी है कई वैक्सीन

मैसेंजर आरएनए पद्धति से अब तक कई वैक्सीन बनायी जा चुकी हैं. लेकिन एक भी अप्रूव नहीं हुईं. आरएनए वैक्सीन पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे अनुमति मिली है. इसे मॉडर्ना और फाइजन ने तैयार किया है. इसमें वायरस के जीनोम से आरएनए निकाल कर शरीर में इंजेक्ट किया जाता है. यह मैसेंजर आरएनए कोड हमारी कोशिकाओं को निर्देश देता है कि आप स्पाइक प्रोटीन बनाइये. उसके बाद हमारा शरीर स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाते हैं. वायरस जब अटैक करता है, तब एंटीबॉडी उससे लड़ने में सक्षम होते हैं.

फाइजर की तुलना में कोविशील्ड और कोवैक्सीन बेहतर क्यों?

कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही दो से पांच डिग्री तापमान पर रखी जा सकती है. इन्हें साधारण फ्रीज में रख कर कहीं भी भेजा जा सकता है. वहीं, फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस तापमान जरूरी है. भारत में कोल्ड चेन बनाना आसान नहीं है. निश्चित तापमान पर संधारित कर दूरदराज गावों तक फाइजर वैक्सीन पहुंचाना मुश्किल है. ऐसा नहीं होने पर वैक्सीन बेअसर हो जायेगी. ऐसे में भारत के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन ही बेहतर है.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel