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Explainer: लॉन्चिंग के 7वें दिन पहली बार हुआ वंदे भारत ट्रेन हादसा, इस तकनीक से बची यात्रियों की जान

डिजिटल और जीपीएस सिस्टम पर आधारित 'कवच' तकनीक को लाल बत्ती या फिर रेलवे लाइन में आई किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गड़बड़ी दिखाई देती है, तो रेलगाड़ियां खुद-ब-खुद ऑटोमैटिकली रुक जाती है.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले 30 सितंबर को हरी झंडी दिखाने के बाद मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन गुरुवार को सात दिन के अंदर ही पहली बार दुर्घटना का शिकार हो गई. सेमी हाईस्पीड ट्रेन गुरुवार को अहमदाबाद के पास वटवा और मणिनगर स्टेशन के बीच भैंसों के झुंड से टकरा गई. हालांकि, इस हादसे में वंदे भारत ट्रेन के आगे के आधे हिस्से के परखच्चे उड़ गए, लेकिन ट्रेन में एक खास प्रकार की तकनीक लगे होने की वजह से यह न तो बेपटरी हुई और न ही उसमें सवार यात्रियों को किसी प्रकार का नुकसान हुआ. उल्टे 20 मिनट के अंदर आगे के क्षतिग्रस्त हिस्से को दुरुस्त कर दिया गया और गाड़ी फिर अपनी उसी रफ्तार से पटरी पर दौड़ने लगी.

क्या है वह खास तकनीक

मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में होने वाले ट्रेन हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे की मदद से ‘कवच’ तकनीक विकसित की गई है. इस ‘कवच’ तकनीक का इस साल 4 मार्च को सिकंदराबाद में परीक्षण किया गया था. इस दौरान दो ट्रेनों की पूरी गति के साथ एक-दूसरे की टक्कर कराई गई, लेकिन इस ‘कवच’ तकनीक की ताकत की वजह से इन दोनों ट्रेनों में संभावित टक्कर नहीं हो सकी. भारत में ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारतीय रेलवे की मदद से भारत में ही स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली विकसित की गई है. ‘कवच’ तकनीक को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह उस विषम परिस्थिति में एक ट्रेन को टक्कर होने से पहले ऑटोमैटिक ही रोक देगी, जब उसी पटरी पर दूसरी दिशा से कोई अन्य ट्रेन सामने आती रहेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ‘कवच’ तकनीक एक निर्धारित दूरी के भीतर दूसरी ट्रेन या किसी वस्तु की जानकारी होने पर चलती ट्रेन को रोक देगी.

लाल बत्ती खराब होने पर भी खुद ही रुक जाती है ट्रेन

रेलवे के अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, डिजिटल और जीपीएस सिस्टम पर आधारित ‘कवच’ तकनीक को लाल बत्ती या फिर रेलवे लाइन में आई किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गड़बड़ी दिखाई देती है, तो रेलगाड़ियां खुद-ब-खुद ऑटोमैटिकली रुक जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस सिस्टम को लागू होने के बाद इसे चलाने में करीब 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर की दर से लागत आएगी.

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‘कवच’ तकनीक के जरिए टला बड़ा हादसा

जानकारी के मुताब‍िक, वंदे भारत ट्रेन में भी स्वदेश निर्मित ‘कवच’ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यही वजह है कि गुरुवार को अहमदाबाद के पास एक बड़ा ट्रेन हादसा होते-होते टल गया. हालांकि, यह ट्रेन 52 सेकंड के अंदर 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है. इसमें स्वचालित गेट है, चौड़ी खिड़कियां है और सामान रखने के लिए जगह भी ज्यादा है. किसी भी आपात स्थिति में लोको पायलट और ट्रेन गार्ड एक-दूसरे के साथ-साथ यात्रियों से भी आसानी से संवाद कर सकते हैं. यह ट्रेन के अंदर से इस तरह से ड‍िजाइन क‍िया गया है क‍ि ज‍िसमें दोनों तरफ यात्रियों को नीले रंग की आरामदायक सीट उपलब्‍ध होंगी. इसके साथ ही, स्वचालित फायर सेंसर, सीसीटीवी कैमरे, वाईफाई सुविधा के साथ ऑन-डिमांड सामग्री, तीन घंटे का बैटरी बैकअप और जीपीएस सिस्टम की सुविधा उपलब्ध है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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