Man Turns Transgender: “मेरे आगे पीछे कोई नहीं है. मेरा बुढ़ापा आएगा तो मैं क्या करूंगी? इस लिए मैंने किन्नर बनकर एक रास्ता चुना है. यदि मैं मर्द बनकर जीवन को आगे बढ़ाती हूं, फिर भी ये दुनिया मुझे किन्नर बोलकर ताना मारेगी. इससे अच्छा है कि मैं किन्नर बनकर ताना सुनूंगी, तो मुझे कम दर्द होगा.” ये शब्द हैं बनारस के रहने वाले रवि मिश्रा (अब रीना मिश्रा) के. ईश्वर ने रवि को पुरुष (Male) बनाकर धरती पर भेजा था, लेकिन अब वो किन्नर (Transgender) बनकर आगे का जीवन जीना चाहते हैं. जी हां, किन्नर वहीं हैं जिन्हें हम ट्रेन में ताली पीटते, पैसे मांगते हुए देखते हैं. वहीं, किन्नर जो किसी बच्चे के जन्म पर नाचती और गाती हैं. बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, गली मोहल्ला, कहीं न कहीं हमें दिख जाती हैं. बनारस के रवि मिश्रा किन्नर क्यों बनना चाहते हैं? आइए जानते हैं विस्तार से…
आप किन्नर क्यों बनना चाहते हैं? (Man Turns Transgender)
रवि बताते हैं कि, “मुझे बचपन से ही औरतों की तरह सजना और संवरना, साड़ी पहनना पसंद था. इसके वजह से मुझे बार-बार ताना मारा गया. लेकिन मुझे ज्यादा दुख तब हुआ जब मेरे खुद के बड़े भाई और भाभी ने ताना मारा. मैंने देखा कि किन्नरों को कितना सम्मान मिलता है. उनकी लाइफ कितनी अच्छी है. लोगों के मन में किन्नरों के प्रति आशा रहती है आशीर्वाद लेने के लिए. ऐसे में मैं भी किन्नर बन जाऊं तो मुझे भी यही सम्मान मिलने लगेगा.”
क्या किन्नर बनने से आपके माता-पिता सहमत हैं? (Transgender)
रवि जवाब देते हैं, “परिवार नहीं चाहता है कि मैं किन्नर बनूं यानी अपना जेंडर चेंज करूं. लेकिन मैंने अपने इस फैसले के बारे में माता-पिता को बताया. उन्हें समझाया कि मुझे मेरी लाइफ जीने दो. इस बात से मेरे माता-पिता को भी कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन मेरे बड़े भाई मुझे परेशान करते हैं. बड़े भाई चाहते हैं कि मैं घर छोड़ दूं. लेकिन मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मुझे मेरा जीवन मेरे मन से जीने दो. तानों से परेशान होकर मैंने एक बार फांसी भी लगाई थी लेकिन पेड़ की डाल टूट जाने से ये सफल नहीं हो सका.”
किन्नर बनने के बाद लोगों के तानों का सामना कैसे करेंगे?
रवि जवाब देते हैं, “किन्नर बनने के बाद मेरे पास समय कहां रहेगा समाज से लड़ने का. तब तो मैं समाज से दूर चले जाऊंगा. जब तक मां-बाप हैं तब तक उनके लिए मुझे समाज से लड़कर गांव में आना-जाना पड़ता है. दो शब्द सुनना पड़ता है अपने पड़ोसी से नहीं बल्कि अपने भाइयों से.”
रवि आगे बताते हैं, “बचपन से मुझे नाचना, गाना, लड़कियों के साथ बैठना, रहना, भोजन करना, वे हर काम जो लड़कियां करती थीं, मुझे उसमें दिलचस्पी थी. मुझे अपने में लड़कियों जैसा फीलिंग महसूस होता था. मुझे लगता था जो लड़कियां कर सकती हैं वो मैं भी कर सकता हूं. अंदर से मैं अपने आप को लड़कियों जैसा मानता था. मैं फिर भी मर्द बनकर अपनी लाइफ जीना चाहता था, शादी करना चाहता था, बच्चे पैदा करना चाहता था लेकिन मैं सफल नहीं हो सका.
क्या आपने शादी की थी? (Varanasi Man Turns Transgender)
रवि अपने वैवाहिक जीवन के बारे में बताते हैं, “मेरी शादी हो नहीं रही थी. मैंने शादी कराने वाले को 10 हजार रुपए दिए. 11 दिसंबर 2018 को मेरी शादी हुई. लेकिन एक साल के बाद पत्नी और मेरे बीच मतभेद होने लगे. मैंने अपनी पत्नी से कहा कि यदि तुम मेरे साथ नहीं रहना चाहती हो तो मुझे तलाक दे दो. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पत्नी ने न मुझे इस पार और न हीं उस पार का छोड़ा, मुझे बीच में फंसा के रखी हैं. मेरे पास जितना सोना था वह भी लेकर चली गई. इसके बाद फिर से मुझे गांव और समाज से ताना सुनना पड़ा. 2019 में पत्नी छोड़कर अपने मायके चली गई थी. पिछले 1 साल से हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हो रही है. अब मुझमें अपनी पत्नी के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं है. मैं उनकी लाइफ बर्बाद भी नहीं करना चाहता हूं. क्योंकि मेरी पहले से हो चुकी है.
समाज में किन्नर समाज को लोग गलत नजरिए से देखते हैं, इसका सामना कैसे करेंगे?
रवि उत्तर देते हैं, “किन्नर के सामने कोई कुछ नहीं बोलता. पीठ पीछे तो लोग प्रधानमंत्री को गाली देते हैं. मैं जब साड़ी पहनकर और सज-संवर कर निकली हूं तो किसी में हिम्मत नहीं है कि कुछ बोलें. बल्कि लोग मेरा पैर छूते हैं और 100 या फिर 50 रुपए देते हैं. कुछ लोगों के नजर में हम पूज्यनीय होते हैं, कुछ लोग जो छपरी होते हैं वे तो भगवान को नहीं मानते हैं तो हम कौन सी चीज हैं. परिवार के तानों को सुनते हुए, टीवी-मोबाइल पर देखते हुए मैंने देखा कि किन्नर लोग अपनी लाइफ को खुलकर जीते हैं. खास मैं भी किन्नर होती तो अपनी जिंदगी ऐसे ही जीती.
आप किन्नर बनने की प्रोसेस में हैं, क्या ये बात लोगों को पता है?
रवि बताते हैं, “जब मैं किन्नर समाज में शामिल हुआ तो मुझे बताया गया कि बाबू यदि आपको किन्नर बनकर जीवन जीना है तो जेंडर बदलना पड़ेगा. जेंडर चेंज होने की प्रक्रिया जारी है. मैंने आवेदन कर दिया है. दवा जारी है. आने वाले अगस्त और सितंबर महीने में दिल्ली में ऑपरेशन होगा. इसमें 1 से 1.5 लाख के बीच का खर्च आ रहा है. अभी जो दवा चल रही है उससे शरीर के जो बाल हैं वो डाउन यानी कम हो जाएंगे. पिछले दो महीने से दवा चल रही है. शरीर के कई संवेदनशील पार्ट का प्रोग्रेस रुक जाता है. चेहरे से बाल-ढाड़ी खत्म हो जाएंगे. अभी गर्मी का महीना है, घाव को ठीक होने में समय लगेगा. इसलिए ऑपरेशन ठंड के महीने में होगा. ऑपरेशन के एक महीने के बाद सब ठीक हो जाएगा.
किन्नर बनकर आप क्या करेंगे? (Transgender News)
रवि जवाब देते हैं, “जो मान-सम्मान मुझे इस ग्रुप में नहीं मिला. मैं साड़ी पहनकर किन्नर बनकर ये सम्मान और इज्जत जाते-जाते लेकर जाऊंगी.”
किन्नर बनने के बाद अपने गांव जाएंगे क्या? (Varanasi News)
रवि उत्तर देते हैं, “मां-बाप जब तक रहेंगे तब तक मैं गांव में जाऊंगी. मैं अपने जन्मदाता को नहीं छोड़ूंगी. माता-पिता जब तक जीवित रहेंगे तब मैं मिलने जाऊंगी, भले ही मुझे भगा दिया जाए. माता-पिता के बाद गांव में जाने के बाद यदि मुझे इज्जत मिलेगी, एक लोटा पानी मिलेगा तो आना-जाना लगा रहेगा, नहीं तो फिर मैं गांव भी छोड़ दूंगी. ऐसे भी मुझे मेरे गांव के साड़ी और ब्लाउज मिल गए हैं पहनने के लिए.
किन्नर बनकर भगवान के नियम को क्यों तोड़ रहे हैं आप?
रवि बताते हैं, “मेरी 100 प्रतिशत भगवान में आस्था है. भगवान बोले हैं जिंदगी तुम्हारी है, तुम्हें जैसा जीना है खुलकर जीयो. स्त्री का रूप तो स्वयं भगवान नारायण जी ने पकड़ा है.”
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