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Video : रोज 27 लाख रुपये कमाता है ये ढाबे वाला, जानें क्या है यहां खास

Video : हरियाणा के मुरथल का एक स्थानीय ढाबे की तारीफ दुनियाभर में हो रही है. इसकी वजह सिर्फ इसका लाजवाब खाना ही नहीं, बल्कि वह जुनून भी है जिसे इस फूड जॉइंट ने दशकों से कायम रखा है. मुरथल का "अमरीक सुखदेव ढाबा" के बारे में आप भी जानें और देखें ये खास वीडियो.

Video :  मुरथल का “अमरीक सुखदेव ढाबा” अब Taste Atlas की दुनिया के 100 प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट्स की सूची में भी शामिल हो गया है. लेकिन एक सवाल सबके मन में आता है — आखिर कैसे एक ट्रक ड्राइवरों के लिए शुरू हुआ छोटा सा ढाबा, आम लोगों की पहली पसंद बन गया? इसका जवाब है – मेहनत, गुणवत्ता और परंपरा…जी हां…. अमरीक सुखदेव ढाबा की शुरुआत एक साधारण भोजनालय के रूप में हुई थी, जहां हाईवे पर चलने वाले ट्रक ड्राइवर रात को खाना खाते और आराम करते थे. लेकिन धीरे-धीरे इस ढाबे ने अपने स्वादिष्ट पराठों, देसी घी की खुशबू, साफ-सुथरे माहौल और गर्मजोशी भरे स्वागत से हर यात्री का दिल जीत लिया.

समय के साथ, यह ढाबा सिर्फ ट्रक ड्राइवरों तक सीमित नहीं रहा. दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले सैलानी, कॉलेज छात्र, परिवार, और यहां तक कि विदेशी पर्यटक भी इस जगह पर रुकने लगे. स्वाद, सेवा और परंपरा का ऐसा संगम बना कि अमरीक सुखदेव आज मुरथल की पहचान बन चुका है. आज यह ढाबा एक आइकॉनिक डेस्टिनेशन बन गया है, जो न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है.

अमरीक सुखदेव की पूरी कहानी

इसकी शुरुआत वर्ष 1956 में हुई थी, जब सरदार प्रकाश सिंह ने एक छोटे से टेंट में ढाबा शुरू किया. इस ढाबे का मकसद खासतौर पर ट्रक ड्राइवरों को सादा दाल-रोटी परोसना था. इसके बाद साल 1990 में उनके दो बेटे अमरीक और सुखदेव इस व्यवसाय से जुड़ गए. उन्होंने इस छोटे से ढाबे को एक भव्य सपने की तरह आकार देना शुरू किया और इसे एक बड़ी पहचान दिलाई. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने कभी भी किसी बड़े विज्ञापन या मार्केटिंग अभियान का सहारा नहीं लिया. इसके बजाय, वे पारंपरिक तरीकों पर ही भरोसा करते रहे और मुख्य रूप से ट्रक और कैब ड्राइवरों को ही टारगेट किया. इसी मेहनत और सच्ची नीयत का नतीजा है कि आज “अमरीक सुखदेव” सिर्फ एक ढाबा नहीं, बल्कि एक विश्वस्तरीय पहचान बन चुका है.

दिन गुजरते गए और इस दौरान हजारों ट्रक और कैब ड्राइवरों की भीड़ यहां उमड़ने लगी, जिससे अमरीक सुखदेव की तस्वीर ही बदल गई. लेकिन जो चीज कभी नहीं बदली, वह है इसका स्वाद. ऐसा कहा जाता है कि आज भी ढाबे के मालिक खुद भोजन की गुणवत्ता की जांच करते हैं. यह बात इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने अपनी असलियत और परंपरा की जड़ों को अब भी मजबूती से थाम रखा है.

यह रेस्टोरेंट अब पूरे देश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है. हरियाणा, दिल्ली सहित देश के कोने-कोने से खाने के शौकीन लोग यहां रोजाना पहुंचते हैं. बताया जाता है कि अमरीक सुखदेव  रोजाना करीब 8,000 से 9,000 लोगों को खाना परोसता है, जिससे इसकी दैनिक कमाई लगभग 27 लाख रुपये तक पहुंच जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रेस्टोरेंट हर महीने करीब 8 करोड़ रुपये की कमाई करता है.

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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