VP: देश में कोचिंग सेंटर कल्चर देश की शिक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं. कोचिंग सेंटर युवा प्रतिभा को बर्बाद करने, एक क्षेत्र विशेष में प्रतिभा को सीमित करने का काम कर रहे हैं. देश में लगातार कोचिंग सेंटर की संख्या बढ़ रही है और यह देश के भविष्य युवाओं के समक्ष गंभीर संकट पैदा रहा है.
कोचिंग सेंटर से पैदा होने वाली समस्या का तत्काल समाधान करने की आवश्यकता है. देश शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने की अनुमति किसी को नहीं दे सकता है. राजस्थान के कोटा में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी(आईआईआईटी) के चाैथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि अब किसी देश को सेना के बल पर गुलाम नहीं बनाया जा सकता है.
सेना की जगह एल्गोरिथ्म हावी हो गया है. देश की संप्रभुता किसी विदेशी सेना के हस्तक्षेप से नहीं बल्कि विदेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भरता के कारण खतरे में पड़ सकती है. ऐसे में युवाओं को देश भक्ति की भावना तकनीकी नेतृत्व प्रदान कर हासिल बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए. वैश्विक स्तर पर तकनीकी क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान कर युवा देश भावना की नये युग का शुरुआत कर सकते हैं. रक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में दूसरे देशों पर निर्भरता को कम करना समय की मांग है.
तकनीक के कारण बदल रहा है वैश्विक परिदृश्य
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नयी शिक्षा नीति देश को आगे ले जाने के मकसद से तैयार की गयी है. लेकिन कोचिंग सेंटर नयी शिक्षा नीति का पालन नहीं कर रहे हैं. देश में इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य पेशेवर कोर्स की सीटें सीमित है, लेकिन कोचिंग सेंटर देश के हर कोने में खुल गए हैं. ये सेंटर बच्चों के दिमाग को रोबोट बना रहे हैं.
इससे साइकोलॉजिकल समस्या बढ़ रही है. जबकि तकनीक के कारण तेजी से वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है. अब देश की ताकत सैन्य ताकत से नहीं बल्कि कोड, क्लाउड और साइबर से तय हो रही है. उन्होंने कहा कि ज्ञान बांटने का माध्यम है. पूर्व में गुरुकुल में मुफ्त में शिक्षा मुहैया करायी जाती थी. ऐसे में कोचिंग सेंटर को भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रयोग कौशल विकास के लिए करना चाहिए.
कोचिंग सेंटर की समस्या का समाधान सभी को मिलकर करना होगा. कोचिंग कौशल विकास के लिए होना चाहिए. लेकिन मौजूदा समय में कोचिंग सेंटर शिक्षा व्यवस्था के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं. उन्होंने कहा कि देश की ताकत युवा है. भारत की 65 फीसदी की आबादी 35 साल से कम उम्र की है. इस युवा ताकत का उपयोग देश के विकास में करना चाहिए. शिक्षा और रिसर्च के दम पर ही कोई देश विकसित बन सकता है.