Watch Video: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के बेबाक और बेखौफ अंदाज से लगभग हर कोई परिचित है. हाल ही में उन्होंने दावा किया था कि असम में आने वाले 10 सालों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे. इसी बयान पर बुधवार को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह मेरा निजी बयान नहीं है, बल्कि जनगणना के आंकड़ों पर आधारित आकलन है.
सिर्फ 3 फीसदी स्वदेशी असमिया मुस्लिम
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी 34 फीसदी है. ऐसे में अगर 3 फीसदी स्वदेशी असमिया मुसलमानों को हटा दिया जाए, तो करीबन 31 फीसदी मुसलमान ऐसे हैं, जो राज्य में प्रवास कर गए हैं.
2041 तक हिन्दू-मुस्लिम आबादी बराबर
उन्होंने दावा किया कि अगर आप 2021, 2031 और 2041 के रुझानों के आधार पर अनुमान लगाएं, तो आप लगभग 50-50 फीसदी यानी बराबरी की स्थिति पर आते हैं. ऐसे में सिर्फ यह मेरा निजी विचार नहीं है, बल्कि सांख्यिकी जनगणना रिपोर्ट के बारे में बता रहा हूं.
असम की आत्मा के लिए लड़ते रहेंगे- सीएम हिमंता
हिमंता ने कहा कि हमने अपनी संस्कृति, अपनी जमीन, अपने मंदिर खो दिए हैं. हम बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि जिंदा रहने के लिए बेताब हैं, क्योंकि कानून हमें कोई राहत नहीं देता है. हम भले ही एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हों, लेकिन सम्मान के साथ, कानून के दायरे में और अपने असम की आत्मा के लिए हम लड़ते हुए मरेंगे.
विधानसभा उपाध्यक्ष मोमिन ने जताई थी चिंता
हाल ही में असम विधानसभा के उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता डॉ. नुमाल मोमिन ने भी हाल ही में एक दावा किया था कि आजादी के समय में असम में एक भी मुस्लिम बाहुल्य जिला नहीं था, लेकिन वर्तमान में 15 जिले मुस्लिम बाहुल्य जिले हैं. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है, जो कि सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक खतरे का संकेत है.
ये हैं मुस्लिम आबादी वाले जिले
गौरतलब है कि साल 2011 में असम में 6 नए जिले जोड़े गए थे, जिससे जिलों की संख्या बढ़कर 27 हो गई है, जिसमें 9 जिले धुबरी (79.67), गोलपारा (57.52), नगांव (55.36), बारपेटा (70.74), मोरिगांव (52.56), हैलाकांडी (60.31), करीमगंज (56.36), बोंगाईगांव (50.22) और दारंग (64.34) जिले मुस्लिम बाहुल्य है.