Welcome Back Shubhanshu Shukla: 15 जुलाई 2025 को शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री सकुशल धरती पर लौट आएं हैं. ड्रैगन अंतरिक्ष यान कैलिफोर्निया में समुद्र में उतरा. इसी के साथ 15 जुलाई 2025 की यह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई. मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे (भारतीय समय के अनुसार) भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताने के बाद धरती पर वापस आ गए हैं. यह उनकी पहली अंतरिक्ष यात्रा थी. शुभांशु स्पेसएक्स के ग्रेस यान से लौटे और कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की.
ISS में शुभांशु ने बिताए 18 दिन
एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य लोग अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन के प्रवास के बाद मंगलवार (15 जुलाई) को साढ़े 22 घंटे की यात्रा करके पृथ्वी पर लौटे. उन्होंने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में लैंडिंग की. शुभांशु शुक्ला के साथ कैप्सूल में कमांडर पैगी व्हिट्सन, मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और टिबोर कापू की भी धरती पर वापसी हो गई है. धरती पर आने के बाद चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सात दिन आइसोलेशन में रहना पड़ सकता है. क्योंकि उन्हें अंतरिक्ष की कक्षा में अनुभव की जाने वाली भारहीनता के विपरीत, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पृथ्वी पर जीवन के लिए खुद को ढालना होगा.
डीऑर्बिट बर्न
14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4 बजकर 45 मिनट पर ग्रेस यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अलग हुआ. इसके बाद तेज गति से वो धरती की ओर बढ़ने लगा. समुद्र में लैंडिंग से पहले ग्रेस यान कई चरणों से गुजरा. यान ने कक्षा से बाहर निकलने के लिए डीऑर्बिट बर्न किया. दरअसल, जब कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा होता है और उसे वापस धरती पर लाना होता है, तो उसकी गति को कम करना जरूरी होता है ताकि वह कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके. इसी गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स या छोटे इंजन को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है, इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ कहते हैं.
वायुमंडल में प्रवेश
कैप्सूल के ट्रंक को अलग करना और वायुमंडल में प्रवेश के दौरान तापमान 1600 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, इस चरम तापमान को कैप्सूल के हीट शील्ड ने सहन किया..
पैराशूट तैनात
वायुमंडल से बाहर निकलने पर पैराशूट खुलकर यान को धीमा किया. पैराशूट दो चरण में तैनात किया गया था. पहले लगभग 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट, उसके बाद लगभग दो किमी की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट.
विशेष रिकवरी जहाज पर उतरा अंतरिक्ष यान
अंतरिक्ष यान को एक विशेष रिकवरी जहाज पर उतारा गया, जहां से अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से बाहर निकाला गया. इसके बाद एक्सिओम-4 के चालक दल की जहाज पर ही कई चिकित्सीय जांच की जा रही है. उन्हें एक हेलीकॉप्टर से तट पर लाया जाएगा.
7 दिनों का आइसोलेशन
चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सात दिन पुनर्वास में बिताने पड़ सकते हैं, क्योंकि उन्हें अंतरिक्ष की कक्षा में अनुभव की जाने वाली भारहीनता के विपरीत, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में पृथ्वी पर जीवन के लिए खुद को ढालना होगा.
गले मिलकर ली विदाई
सोमवार को अनडॉकिंग से लगभग दो घंटे पहले चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने एक दूसरे को गले लगाकर विदाई दी. वापस लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों ने हाथ मिलाकर ड्रैगन अंतरिक्ष यान में प्रवेश किया, अपने स्पेस सूट पहने और भारतीय समयानुसार दोपहर 2:37 बजे अंतरिक्ष यान को आईएसएस से जोड़ने वाले हैच को बंद कर दिया. इससे पहले रविवार को आईएसएस पर विदाई समारोह में शुक्ला ने कहा था ‘जल्द ही धरती पर मुलाकात करते हैं.’
अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला ने किए कई परीक्षण
शुभांशु शुक्ला 25 जून 2025 को फाल्कन 9 रॉकेट से आईएसएस के लिए रवाना हुए थे. 26 जून को वो ISS से जुड़े थे. इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए. उन्होंने मांसपेशियों की हानि, मानसिक स्वास्थ्य और अंतरिक्ष में फसल उगाने जैसे शोध शामिल थे. उन्होंने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग की उगाए.