Girish Narayan Pandey: देश आज इमरजेंसी के काले अध्याय का 50 वर्ष मना रहा है. कई लोगों ये जानना चाहते हैं कि आखिर जिनके गवाही के कारण इंदिरा गांधी की सदस्यता पर संकट बन गया था. आज आपको जिनकी गवाही से इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता गई, फिर आपातकाल में जेल गए, और बाद में बने मंत्री. उस नेता का नाम गिरीश नारायण पाण्डेय था.
कौन थे गिरिश नारायण पाण्डेय?
1971 के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोपों ने देश की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया था. रायबरेली से जीतने वाली तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ उनके प्रतिद्वंदी राजनारायण ने चुनाव को अदालत में चुनौती दी थी. इस ऐतिहासिक मुकदमे में संघ के कार्यकर्ता गिरीश नारायण पाण्डेय ने इंदिरा गांधी के खिलाफ गवाही दी थी, जिसे फैसले में निर्णायक माना गया.
गिरीश नारायण पाण्डेय ने दावा किया था कि उन्हें कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने गवाही न देने के लिए लालच और दबाव देने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने सच का साथ नहीं छोड़ा. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया. जिससे उनकी सांसदी चली गई और इसी फैसले के बाद 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया गया.
आपातकाल के बाद राजनीति में मिली बड़ी भूमिका
आपातकाल के बाद लोकतंत्र की वापसी हुई और गिरीश नारायण पाण्डेय भाजपा में शामिल हो गए. उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का करीबी माना जाता था. 1991 में भाजपा ने उन्हें रायबरेली से विधानसभा टिकट दिया और वह विधायक बने. कल्याण सिंह सरकार में विधि एवं न्याय मंत्री बने. हालांकि राम मंदिर आंदोलन के कारण सरकार जल्द गिर गई और उनका कार्यकाल सीमित रहा.