Why RAW Formed In India: भारत सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पराग जैन को देश की सबसे अहम बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का अगला प्रमुख नियुक्त किया है. वह मौजूदा रॉ चीफ रवि सिन्हा की जगह लेंगे, जो 30 जून 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. पराग जैन को एक जुलाई 2025 से RAW की कमान सौंपी जाएगी. वे “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे गुप्त अभियानों के मास्टरमाइंड माने जाते हैं और खुफिया दुनिया में उनका व्यापक अनुभव है.
RAW है भारत की ताकत
रॉ (RAW) को दुनिया की सबसे प्रभावशाली खुफिया एजेंसियों में गिना जाता है. भारत की सीमाओं से बाहर रणनीतिक खुफिया सूचनाएं जुटाने, आतंकवाद पर निगरानी रखने और विदेशी मिशनों को अंजाम देने में RAW की भूमिका बेहद अहम रही है.
इस एजेंसी की स्थापना 21 सितंबर 1968 को हुई थी. रामेश्वर नाथ काव इसके पहले प्रमुख बनाए गए थे और संकरन नायर उनके डिप्टी थे. शुरुआत में रॉ में आईबी से 250 अधिकारियों को ट्रांसफर किया गया था. बाद में कॉलेजों और यूनिवर्सिटी से भी रॉ एजेंटों की भर्ती की जाने लगी थी, हालांकि यह प्रक्रिया 1973 में बंद कर दी गई.
IB होते हुए भी RAW की जरूरत क्यों पड़ी?
यह सवाल अक्सर उठता है कि जब इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) पहले से मौजूद थी तो फिर RAW की स्थापना क्यों की गई? इसका जवाब छिपा है 1965 के भारत-पाक युद्ध में. इस युद्ध के दौरान भारत को यह अहम जानकारी समय रहते नहीं मिल पाई कि पाकिस्तान के हथियार लगभग खत्म हो चुके हैं और अमेरिका भी उसे समर्थन नहीं देगा. यदि भारत को यह सूचना पहले मिल जाती, तो शायद युद्ध का नतीजा भारत के अधिक पक्ष में होता.