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Ayodhya Ram Darbar: सत्यनारायण पांडेय…ये वह नाम है जिसे अयोध्या के राम मंदिर में 5 जून को स्थापित किए गए राम दरबार की मूर्तियों को बनाने का श्रेय प्राप्त है. यही नहीं राम दरबार के अतिरिक्त सूर्य देव, मां अन्नपूर्णा, भगवान शिव, दुर्गा जी, हनुमान जी की मूर्ति भी उन्होंने ने ही बनायी है. इससे पहले रामलला की मूर्तियां बनाने वालों में सत्यनारायण शामिल थे. लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के लिए अरुण योगीराज की मूर्ति को चुना गया था.
जयपुर में तराशी गई मूर्तियां
राम दरबार सहित अन्य मूर्तियां जयपुर में बनायी गई हैं. दो मुख्य मूर्तिया संगमरमर के एक ही पत्थर से बनी हैं. जबकि लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी की मूर्ति अलग-अलग सिंगल संगमरमर से बनी हैं. मूर्तियों का स्केच वासुदेव कामथ ने बनाया है. इसके आधार पर ही मूर्तियों को तराश गया है. मुख्य मूर्तियां बनाने से पहले मोम और फिर फाइबर का मॉडल बनाया गया. इसके बाद मुख्य मूर्तियां बनायी गई. 25 कारीगर, रोजाना 10 घंटे तक कार्य करते थे. इस तरह सभी मूर्तियों को बनाने में आठ महीने का समय लगा है.
मंदिर की पहली मंजिल पर राम दरबार
5 जून को अयोध्या में राम दरबार की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई. भूतल पर रामलाल विराजमान हैं. जबकि पहले तल पर राम दरबार को स्थान दिया गया है. राम मंदिर पर नजर डालें तो ये 2.77 एकड़ भूमि पर बना है. वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा ने मंदिर को डिजाइन किया है. पीढ़ियों से उनके यहां मंदिर की परिकल्पना का कार्य हो रहा है. चंद्रकांत सोमनाथ मंदिर को डिजाइन की परिकल्पना करने वाले प्रभाशंकर भाई सोमपुरा के पोते हैं.
काशी के सिल्क से बने वस्त्रों से श्रृंगार
राम दरबार में राम सीता की मूर्तियों को काशी के सिल्क से बने वस्त्रों से श्रृंगार किया गया है. फैशन डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने इन कपड़ों को डिजाइन किया है. मनीष के अनुसार राम-सीता के परिधानों में बंधेज का भी इस्तेमाल किया गया है. वस्त्रों में किनारे पर जरी लगायी गई है, जिससे उसका स्वरूप और निखर आया है. भगवान राम को पीले रंग की रेशमी धोती पहनायी गई है. जो शुभता का प्रतीक है. इससे पहले रामलला की मूर्ति के कपड़ों को डिजाइन करने की जिम्मेदारी भी मनीष को दी गई थी.
रामलला की मूर्ति ऐसे बनी
22 जनवरी 2024 को रामलला की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा गर्भ गृह में की गई थी, उसे श्यामल रंग के पत्थर से बनाया गया है. मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इस मूर्ति को राम जन्मभूमि परिसर में ही आकार दिया था. उनके अलावा दो अन्य मूर्तिकारों को भी रामलला के बाल स्वरूप को तराशने की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के लिए चयन अरुण योगीराज की मूर्ति का किया गया था. रामलला की मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है. इसका वजन डेढ़ टन है. श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में भगवान विष्ण की दिव्यता और एक राजपुत्र की कांति है. उसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है. चेहरे की कोमलता, आंखों की दृष्टि, मुस्कान का भी विशेष ध्यान रखा गया है.
विशेष आभूषणों ने बढ़ायी आभा
रामलला की मूर्ति को विशेष आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. ये विशेष आभूषण लखनऊ के एक ज्वैलर्स ने बनाया है. मात्र 13-14 दिन में 132 कारीगरों की टीम ने इन आभूषणों को तैयार किया है. इन आभूषणों को बनाने में 15 किलोग्राम सोना, 18500 हीरे, 3500 माणिक्य और 600 पन्ना इस्तेमाल हुआ है. प्रभु श्री राम के शीश से नख तक कुल 14 आभूषण बने हैं. इसमें मुकुट से लेकर पैर के पायल शामिल हैं. इसके अलावा सोने का धनुष और तीर भी उन्होंने बनाया है.
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