Jhanvi Dangetti: जब भी भारत में अंतरिक्ष की बात होती है, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसे नाम सामने आते हैं. नई पीढ़ी से आने वाली जान्हवी डांगेटी आज उसी दिशा में अपने कदम बढ़ा चुकी हैं. मात्र 20 साल की उम्र में वह अंतरिक्ष प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली भारत की सबसे युवा महिला बन गईं.
यह केवल उपलब्धि नहीं, बल्कि एक ऐसे संघर्ष की कहानी है जिसमें सपनों के साथ धैर्य, संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति का मेल है. जहां भारत में लड़कियों के साइंस पढ़ने को लेकर कई सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक चुनौतियाँ हैं. पारंपरिक रूढ़िवादिता, जागरूकता की कमी और वित्तीय बाधाएँ लड़कियों को विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करने से रोकती हैं. यथास्थिति के इस महौल में आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले की 23 वर्षीय अंतरिक्ष प्रेमी जाह्नवी डांगेटी को अमेरिका स्थित निजी अंतरिक्ष कंपनी टाइटन स्पेस इंडस्ट्रीज (TSI) द्वारा 2029 के अंतरिक्ष मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुना जाना एक बड़ी उपलब्धि है.
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Jhanvi Dangetti कौन हैं?
जान्हवी आंध्र प्रदेश के पलकोंडा कस्बे की रहने वाली हैं. उनका परिवार सामान्य मध्यमवर्गीय है, जहां संसाधन सीमित थे, लेकिन सपनों की उड़ान बहुत ऊँची थी. पढ़ाई के शुरुआती दिनों में ही जान्हवी को विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति खास रुचि थी. स्कूली जीवन से ही उन्होंने अंतरिक्ष से जुड़े लेख, डॉक्यूमेंट्री और मिशन पढ़ने शुरू किए.एक छोटे कस्बे की लड़की के लिए यह राह आसान नहीं थी.
जान्हवी के घर में विज्ञान के बारे में कोई माहौल नहीं था, न ही ऐसे साधन थे जो उन्हें सीधे इस क्षेत्र की ओर ले जा सकें. कई बार समाज से यह भी सुनने को मिला कि “अंतरिक्ष विज्ञान लड़कियों का क्षेत्र नहीं है” या “इसमें करियर बनाना मुश्किल है”.जान्हवी ने इन आवाज़ों को अपने रास्ते की दीवार बनने नहीं दिया. उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से अंतरिक्ष से जुड़ी हर जानकारी जुटाई.
आर्थिक रूप से मजबूत न होने के बावजूद उन्होंने स्कॉलरशिप्स, स्थानीय प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में भाग लेकर अपनी जगह बनाई।
जान्हवी डांगेटी और ‘इंटरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम’ (IASP)
साल 2021 जान्हवी के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया. उन्हें International Air and Space Program (IASP) के लिए चुना गया, जो कि नासा (NASA) से संबद्ध अमेरिकी स्पेस एंड रॉकेट सेंटर, हंट्सविल (अलबामा) में आयोजित होता है.
यह पांच दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम था जिसमें उन्हें जी-फोर्स से लेकर माइक्रोग्रैविटी, रोवर डिजाइनिंग, स्पेस वॉक सिमुलेशन और मिशन प्लानिंग जैसी प्रशिक्षण प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा. जान्हवी ने पूरी टीम को लीड करते हुए ‘मून बेस डिजाइन’ मिशन में भाग लिया और सफलता प्राप्त की। इस कार्यक्रम में वह भारत की एकमात्र और सबसे युवा महिला प्रतिनिधि थीं.
जान्हवी ने कई बार साक्षात्कारों में बताया है कि कल्पना चावला उनके लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत हैं. उन्होंने कहा, “कल्पना चावला की कहानी पढ़कर ही मैंने सोचा कि यदि वो कर सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं?” यही सोच उन्हें हर मुश्किल वक्त में आगे बढ़ने की ताक़त देती रही.
जान्हवी डांगेटी एक सामान्य लड़की, असाधारण सपने
जान्हवी यह स्वीकार करती हैं कि इस सफर में हर दिन चुनौतीपूर्ण था. स्कॉलरशिप प्राप्त करने से लेकर अंग्रेज़ी भाषा में दक्षता तक, उन्हें कई बार खुद को साबित करना पड़ा. लेकिन हर चुनौती को उन्होंने आत्मविश्वास से पार किया. उन्होंने बार-बार दोहराया कि “अगर कोई सच्ची लगन से प्रयास करे तो उसे कोई नहीं रोक सकता—न आर्थिक हालात, न समाज की सोच.”
उनके पिता एक किसान हैं और मां गृहिणी. सीमित संसाधनों के बावजूद परिवार ने उनकी इच्छाओं को समर्थन दिया. जान्हवी कहती हैं कि उनकी सफलता के पीछे परिवार की निःस्वार्थ आस्था का बड़ा हाथ है.
आज जान्हवी न केवल अपने क्षेत्र में अग्रणी बन चुकी हैं, बल्कि गांव की लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई हैं. वह STEM Education for Rural Girls नामक एक मुहिम भी चला रही हैं ताकि विज्ञान के क्षेत्र में ग्रामीण बेटियों को जागरूक किया जा सके.
जान्हवी का सपना है कि वह भारत की पहली महिला बनें जो न केवल अंतरिक्ष में जाएं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष नीति निर्माण में भी हिस्सा लें. वह ISRO, NASA या ESA जैसी संस्थाओं के साथ शोध करना चाहती हैं और भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी को जन-जन तक पहुंचाना चाहती हैं.
जान्हवी डांगेटी की कहानी केवल एक व्यक्तिगत सफलता की गाथा नहीं, बल्कि भारत की युवा पीढ़ी के सपनों, संघर्ष और संभावनाओं की तस्वीर है. उनकी यात्रा बताती है कि अगर ज़िद हो तो छोटे शहरों से भी लोग सितारों तक पहुंच सकते हैं.
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