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Magadha Empire 4 : मगध साम्राज्य के संस्थापक और हर्यक वंश के प्रथम राजा बिम्बिसार और गौतम बुद्ध के बीच घनिष्ठ होने की बात बौद्ध साहित्य बताते हैं. बिम्बिसार का शासनकाल 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व तक कायम रहा. इतिहासकार इस बात पर एकमत नहीं हैं कि बिम्बिसार ने बौद्ध धर्म अपनाया था या नहीं,लेकिन यह बात सभी मानते हैं कि समकालीन होने और गौतम बुद्ध के राजगृह आने की वजह सेदोनोंके बीच मैत्रीपूर्ण संबंध थे.
पिता की हत्या के बाद अपराधबोध से ग्रसित था अजातशत्रु
बौद्ध साहित्य यह मानते हैं कि बिम्बिसार की हत्या के बाद अजातशत्रु को बहुत पछतावा हुआ. अपराधबोध में ही उसने गौतम बुद्ध की शरण ली, तो उन्होंने उससे अहिंसा और करुणा का मार्ग अपनाने को कहा. जिसके बाद अजातशत्रु ने बौद्ध धर्म अपनाया और बौद्ध संगति का आयोजन किया. हरमन ओल्डेनबर्ग जैसे इतिहासकार यह मानते हैं की अजातशत्रु ने बौद्ध धर्म स्वीकार नहीं किया, वह धर्म से ज्यादा राजनीति पर ध्यान देता था, लेकिन वे यह मानते हैं कि अजातशत्रु ने बौद्ध धर्म का संरक्षण किया, क्योंकि उसके पिता बिम्बिसार ने भी बौद्ध धर्म को संरक्षित किया था. रोमिला थापर और डीडी कोसांबी जैसे इतिहासकार भी यह नहीं मानते हैं अजातशत्रु ने बौद्ध धर्म को स्वीकारा था.
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Magadha Empire : बिम्बिसार ने अपनी सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था से मगध को किया सशक्त, ऐसे हुआ पतन
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बिम्बिसार और गौतम बुद्ध के संबंध

बौद्ध साहित्य यह बताते हैं कि बिम्बिसार और गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन के बीच राजनीतिक संबंध थे. हालांकि इतिहासकार यह मानते हैं कि दोनों समकालीन थे इसलिए व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध दोनों में थे. संन्यास के बाद जब गौतम बुद्ध राजगृह आए तो बिम्बिसार ने उनसे मुलाकात की और उन्हें अपने यहां रहने और पद देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बुद्ध ने ठुकरा दिया था. लेकिन ज्ञान प्राप्ति के बाद वे अपने वादे के अनुसार बिम्बिसार के राज्य आए थे. तब बिम्बिसार ने उनका स्वागत किया था और उन्हें सहायता भी दी. बिम्बिसार ने राजगृह में पहला बौद्ध विहार भी बनवाया था. यानी यह कहा जा सकता है कि बिम्बिसार के समय से ही गौतम बुद्ध के संबंध मगध साम्राज्य से थे.
अजातशत्रु के शासनकाल में बुद्ध का महापरिनिर्वाण
अजातशत्रु के शासनकाल में बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ. गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व में हुआ था. उस वक्त अजातशत्रु ने उनके प्रति सम्मान दिखाते हुए उनकी अस्थियों को लेकर राजगृह की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया था. जो यह साबित करता है कि वह गौतम बुद्ध का अनुयायी रहा था. लेकिन बौद्ध भिक्षु वह नहीं बना क्योंकि उसका लक्ष्य मगध को भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य बनाना था. अजातशत्रु ने अपनी सीमा का इतना विस्तार किया कि उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया. उसने अपने साम्राज्य को आधुनिक बिहार, उत्तर प्रदेश,बंगाल, ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश और नेपाल तक विस्तार दे दिया था. उसने वैशाली के साथ 16 वर्षों तक युद्ध किया था और इसी युद्ध की सफलता के लिए उसने पाटलिपुत्र में अपनी छावनी भी बनाई थी जो आगे चलकर मगध की राजधानी बना.
अजातशत्रु का जन्म और मृत्यु
बौद्ध साहित्य कहते हैं कि उसके जन्म के वक्त यह आशंका हुई थी कि वह अशुभ साबित हो सकता है, इसलिए उसकी मां वैदेही ने उसका त्याग कर दिया था. लेकिन बिम्बिसार ने उसे अपनाया और बचपन में नाम दिया था कुणिका. वहीं उसकी मौत के बारे में यह कहा जाता है कि उसके अपने बेटे उदयन ने अवंती नरेश के बहकावे में उसकी हत्या कर दी थी. लेकिन इतिहासकार यह मानते हैं कि अजातशत्रु की मौत लगभग 462 से 460 ईसा पूर्व में हुई.
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गौतम बुद्ध मगध साम्राज्य के किस राजा के समकालीन थे?
गौतम बुद्ध मगध साम्राज्य के बिम्बिसार और अजातशत्रु के समकालीन थे.
किस राजा के शासनकाल में बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ?
अजातशत्रु